राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थापित मनु प्रतिमा हटाने के लिए शुरू की जाएगी मुहिम
जयपुर 13 जनवरी 2019 राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के भवन परिसर में स्थापित मनु की प्रतिमा को हटाने के लिए संवैधानिक अधिकार संगठन द्वारा दिनांक 12 जनवरी 19 शनिवार को डाक्टर अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी झालाना डूंगरी में एक मीटिंग का आयोजन दलित अधिकार आंदोलन में अपना महत्त्वपूर्ण मुकाम रखने वाले श्री पी एल मिमरोठ की अध्यक्षता में किया गया, मीटिंग में राज्य के विभिन्न हिस्सों से गैर बराबरी के खिलाफ संघर्षरत कई संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
मीटिंग की जानकारी देते हुए संवैधानिक अधिकार संगठन के उपाध्यक्ष बसन्त हरियाणा ने बताया कि मीटिंग में सर्वसम्मति से यह बात उभर कर आई कि राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ में मनु की प्रतिमा ना केवल मानवीय मूल्यों के खिलाफ है बल्कि यह संविधान में वर्णित संविधान के मूल आधार समानता के सिद्धांतों के भी पूरे तौर पर ख़िलाफ़ है। मीटिंग में उपस्थित सभी लोगो का मानना था कि यह मनु प्रतिमा उच्च न्यायालय परिसर में धोखे से रखी गई है। इस अवसर पर उपस्थित तमाम व्यक्तियों ने मनु प्रतिमा हटाने के लिए चल रहे केस में धीमी प्रक्रिया पर अफ़सोस प्रकट किया तथा इसकी सुनवाई तुरन्त हो इसके लिए भी रणनीति बनाना तय किया गया। मीटिंग में तय किया गया कि राजस्थानउच्च न्यायालय परिसर में स्थित मनु प्रतिमा को हटाने के लिए राज्य के तमाम संगठनों द्वारा जो कि मानवीय, समानता तथा संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखते है उन व्यक्तियों व संगठनों के साथ मिलकर राज्य के प्रत्येक तहसील व जिला मुख्यालयों पर राजस्थान उच्च न्यायालय परिसर से मनु प्रतिमा हटाने के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा तथा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को इस केस की जल्द से जल्द सुनवाई को लेकर पत्र लिखने का अभियान भी चलाया जाएगा। तथा इस मुद्दे पर शीघ्र जयपुर में राज्य स्तर सम्मेलन/ रैली का आयोजन किया जाएगा।
मीटिंग में प्रमुख तौर पर संवैधानिक अधिकार संगठन के अध्य्क्ष धर्मेंद्र तमड़िया, गिगराज वर्मा, दलित शोषण मुक्ति मंच के प्यारेलाल शकुन, दलित चिंतक मोहनलाल बैरवा, अर्जुन मकवाना, परसुराम जाटव,हरलाल बैरवा, अनिल गोस्वामी, पूजा सिंह,ललिता पंवार, चिरंजीलाल सामरिया,बनवारी लाल बैरवा,राजकुमार बड़ेरिया,सीमा कुमारी,नेहा सेन,झम्मन सिंह एडवोकेट, आजाद सहित गैर बराबरी के ख़िलाफ़ संघर्षरत संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।