मेरे दोस्त
तुम्हारी यादों मै हर पल खोया रहता हूँ,
जागते हुए भी जाने कैसे सोया रहता हूँ।
जब रहता हूँ तुमसे दूर दोस्तों,
खुश होते हुए भी दिल से रोया रहता हूँ।।
अश्क़ नहीं बहता आँखों से कतरा भी,
पर दिल से निर्मल लहू बह जाता हैं।
जब याद आती ह अमित की वो बात,
मानो खुशियो का दीपक बुज- सा जाता हैं।।
चलता हूँ जब विलास को पाने,
राहुल को जाने कहा छोड़ जाता हूँ।
विकास के इस दौर मे,
अपने गौरव को कही भूल-सा जाता हूँ।।
सोचता हूँ अवनि को परमार बनाने की,
जाने क्यों?ये अंधा जमाना आ जाता हैं,।
चलता हूँ आकाश-भूप को मिलाने ,
बीच मे हवा का फ़साना आ जाता हैं।।
जहाँ भी कबीरा का नवीन तराना गूंजता हैं,
ये आवारा दिल खिंचा चला जाता हैं।
पता नहीं कहा ह प्रिया की वो मुस्कान,
जिसे देख कर चेहरा खिल जाता हैं।
जब मोहित होता हूँ किसी पर,
पी-पी कर नशे मे भूल-सा जाता हूँ।
जब भी करता हूँ याद तुमको दोस्तों,
अंकित होकर भी मिट-सा जाता हूँ।।
रचनाकार परिचय
-अंकित कुमार
Student, Central University of Rajsthan Integrated M.Sc. Physics
पता-गांव-भुराडी,पोस्ट-घाटला,तहसील-अलवर,जिला-अलवर,राजस्थान,301404
मोबाइल नं.-7378283646