एक स्वतः स्फूर्त भारत बंद का आह्वान इन दिनों आग की तरह फैलता जा रहा है ,यह बंद हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति,जनजाति अत्याचार निवारण मामले में दिये गये एक फैसले से उपजे जनाक्रोश की अभिव्यक्ति की तरह परिलक्षित हो रहा है ।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के क्रियान्वयन के मामले में एक गाईड लाइन जारी की है ,जिसके बाद माना जा रहा है कि इस कानून की उपादेयता लगभग खत्म हो चुकी है,दुरूपयोग रोकने के नाम पर जारी किए गए ये दिशा निर्देश दलित आदिवासी समुदाय पर अत्याचार करने का खुला लाइसेन्स बन जायेंगे ,ऐसी प्रबल आशंका व्यक्त की जा रही है ,जो कि निराधार नही है ।
छुआछूत ,भेदभाव ,जातिगत प्रताड़ना और अन्याय अत्याचार रोकने हेतु बनाये गये इस कानून के चलते अजा जजा वर्ग को काफी सुरक्षा मिली है ,लेकिन इस देश का जातिवादी सक्षम तबका इस कानून के शुरू से ही ख़िलाफ़ रहा है ,महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न हिस्सों से मनुवादी ताकतें इस कायदे को खत्म करवाने के लिये आंदोलन छेड़े हुई थी ,जगह जगह मोर्चे निकाले गये ,उनकी आरक्षण खत्म करने की मांग के साथ दलित कायदा खत्म करने की भी प्रमुख मांग रही है ।
वर्तमान में महाराष्ट्र और केंद्र में जिस विचारधारा की सरकार है ,उनके कैडर ने कभी भी दलित आदिवासी वर्ग को गले नहीं लगाया ,वे घोषित रूप से आरक्षण का विरोध करते आये है और अजाजजा अधिनियम की मुख़ालफ़त करते आये है ,अब उनकी सरकारों से इस कानून के पक्ष में समुचित पैरवी की आशा करना तो बेकार ही है, फिर भी हम अपने वर्ग शत्रुओं से बहुत उम्मीदें पाल लेते है ,अभी भी बहुतेरे लोग इनकी समरसता की दोगली ,पाखण्ड सनी बातों के शिकार हो जाते है ।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने जहाँ भाजपा की राज्य व केंद्र सरकार का दलित आदिवासी विरोधी चेहरा उजागर किया है ,वहीं हमारे समुदाय के जनप्रतिनिधियों की अकर्मण्यता और कायरपन को भी सबके सामने लाने का काम किया है ,यह समय दोस्त और दुश्मन की पहचान का सबसे अच्छा समय है ,कौन बोल रहा है और कौन कौन चुप है ,देख लीजियेगा । हमारे कहे जाने वाले सांसद और विधायकगण किस बिल में छिपे हुए है ,पार्टियों के दलित चेहरे ,आदिवासी नेता और एस सी डिपार्टमेंट तथा अनुसूचित जाति जनजाति के मोर्चे क्यों नही बोल पा रहे है ? आखिर ये कब बोलेंगे ?
इक्का दुक्का सांसद बोले ,कुछेक छोटे मोटे नेता भी बोले ,पर वे भी महज कॉपी पेस्ट ही कर रहे है ,याचना कर रहे है बेचारे माननीय पीएम जी और होम मिनिस्टर से ,कुछ को प्रेजिडेंट महोदय से चमत्कार की आशा है तो कुछ लोग एससी एसटी कमीशनों की तरफ बड़ी उम्मीद लगाये टुकर टुकर देख रहे है ,कुछ तुर्रमखान और तीसमारखाँ टाइप के बड़े नेता भी लुटियन की दिल्ली पर बोझ बने हुए हैं ,दलितों के मसीहा ,आदिवासियों के मुक्तिदाता ..उनके मुंह को पता नहीं किसी ने सिल दिया है ,अभी तक खुलकर नहीं बोल पाये है ,सड़क पर आने का साहस तो क्या जुटाएंगे ये लोग ?
दलितों और आदिवासियों के नाम पर रोजी रोटी चला रहे एनजीओ ,सीबीओ ,संगठन ,नेटवर्क ,अभियान और केंद्र भी गहन खामोशी की अवस्था मे चले गए है ,कुछ दलित आदिवासी हेडेड संस्था संगठन के लेटरपैड जरूर व्हाट्सएप पर विचरण कर रहे है ,लेकिन एक भी नामचीन दलित संस्था ने अधिकृत रूप से इसका पुरजोर विरोध का बीड़ा नहीं उठाया ,आम जन से तो आशा ही क्या की जाए ,मगर अभी भी राह साधारण जन ही दिखा रहे हैं ।
सोशल मीडिया पर सक्रिय फुले अम्बेडकर मिशन के कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बिना किसी बड़े नेता या बैनर के यह खुद ही फैसला कर लिया कि 2 अप्रेल 2018 को राष्ट्रव्यापी विरोध किया जाएगा ,यह मुहिम इतनी तेज हो चुकी है कि 2 अप्रेल को भारत बंद का आह्वान किया गया है, जिसको भारी समर्थन मिल रहा है ,पहली बार लोग स्वतः उठ रहे है और सड़कों को पाटने की तैयारी है,लोगों की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल में अब सिर्फ 2 अप्रेल को भारत बंद के फोटो दिखाई पड़ रहे है ,यह रोचक ,रोमांचक और उत्साहित करने वाला ट्रेंड है ,इस रुझान ने कईं मसीहाओं को बेकार कर दिया है ।
मैं जनसाधारण द्वारा चलाई जा रही इस मुहिम का दिल खोलकर समर्थन करता हूँ ,2 अप्रेल के भारत बंद को मेरा सम्पूर्ण समर्थन है ,शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के हमारे संवैधानिक अधिकार का जरूर उपयोग होना चाहिये, हमें इस बन्द को बेहद क्रिएटिव रूप देना चाहिये ,यह सही है कि मार्केट की पूंजीवादी ताकतों को हमारे मुद्दे से रत्ती भर भी सहानुभति नहीं है ,इसलिए वे दुकानें बंद नहीं करना चाहेंगे , पूंजीवाद और मनुवाद एक दूसरे के पूरक है ,ये लोग सदैव हमारे विरोध में ही खड़े होंगे ,इसलिए इनसे टकराव तय मानिये ,2 अप्रेल को हमको इनसे दोचार होना पड़ेगा ,ऐसी मुझे पक्की उम्मीद है ।
मार्केट की ताकते ,सत्ता की ताकत और प्रशासन सब कोई 2 अप्रेल के भारत बंद को विफल करने की कोशिश करेंगे ,हमें कतई घबराना नहीं है ,विरोध के हर नये ,इनोवेटिव तरीके का इस्तेमाल कीजिये ,एकजुट हो कर निकलिये ,एक साथ ,बात जरूर बनेगी ,जहां जहां हमारी ताकत है ,वहां वहां तो बिल्कुल जाम कीजिये ,जहां कमजोरी है ,वहां सड़क पर उतरिये ,रोके जाएं तो शान से गिरफ्तारी दीजिये ,जहां और भी कम संख्या हो ,वहां ज्ञापन दीजिये , प्रेसकांफ्रेन्स कीजिये , थोड़े ही लोग हो तो भी हिचकियेगा मत ,बुक्का फाड़ कर नारे लगाइये ,कुछ नहीं कर सकते है तो काम से हड़ताल कीजिये ,काली पट्टी बांध लीजिए ,अगर बिल्कुल अकेले है तो बाबा साहब की प्रतिमा स्थल पर जा कर अकेले तख्ती उठाकर खड़े हो जाइये ,एक दिन का उपवास कर लीजिए ,कुछ साथी मिलकर क्रांतिकारी मिशनरी गीत ही गा लीजिए ।
2 अप्रेल को घर मे मत बैठिएगा ,बाहर निकालिएगा ,अगर सरकारी नोकरी में है तो सामूहिक अवकाश लीजिए ,आवश्यक सेवाएं दे रहे है तो काली पट्टी बाजू पर बांध लीजिए , आप जिस भी फील्ड के व्यक्ति है ,अपनी प्रतिभा और दक्षता का इस्तेमाल समाज हित मे कीजिये ,मुर्दा कौम बनकर इंतज़ार मत कीजिये ,खामोश मत रहिएगा ,यह बोलने की रुत है ,यह मुंह खोलने का मौसम है ,यह अपने वर्ग शत्रुओं की पहचान और स्वयं के अस्तित्व को बचाने का अवसर है ,इसमें भागीदार बनिये । किसी पार्टी ,नेता ,संस्था ,मसीहा के बुलावे की प्रतीक्षा मत कीजियेगा ।
2 अप्रेल के भारत बंद के आप ही आयोजक ,निवेदक ,संयोजक औऱ मुख्य अतिथि एवम मुख्य वक्ता है ,अपने आप को जगाइये ,अत्त दीपो भव: ,उठिए और दिखा दीजिये कि डॉ आंबेडकर की संतान क्या कर सकती है ,बस इतना सा ध्यान रखिये कि देश की सम्पत्तियां हमारी अपनी है ,हम इस देश के मूलनिवासी है ,किराएदार नहीं ,इसलिये सब कुछ संविधान के दायरे में रहकर शांतिपूर्ण ढंग और लोकतांत्रिक तरीके से कीजिये …!
कुछ न कुछ कीजिये जरूर ताकि आने वाली पीढ़ी से आंखें मिलाने में किसी तरह की शर्मिंदगी ना हो ।
2 अप्रेल 2018 के भारत बंद को मैं खुलकर अपना समर्थन व्यक्त करता हूँ …!
– भंवर मेघवंशी
( स्वतन्त्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता )