पिछले कुछ दिनों से देश में पकौड़ा विमर्श चल पड़ा है टीआरपी की भूखी मीडिया के न्यूज़ रूम हों या ग़रीबों के दरबार चाय की थड़ी या फिर फ़ेसबुक के बकेतियों की फेसबुक वॉल!
हर जगह बस पकौड़े की ही चर्चा है!
और ऐसा हो रहा है तो कुछ अजीब नहीं है!
लोकतंत्र की कमियों से उजागर होने वाले परिणाम जब धरातल पर उतरते हैं तो उनके साइड इफेक्ट्स से निकलते हैं नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री!
2014 देश के इतिहास में सर्वाधिक झूठ वाला साल दर्ज किया जा सकता है!काँग्रेस के भ्र्ष्टाचार को अपने वोट बैंक का हथकंडा बनाने के बाद बीजेपी और उनके सर्वेसर्वा दामोदरदास जी ने ख़ूब वादे किए!
और देश की जनता मुंगेरीलाल के हसीन सपनों में खो गयी!
कभी कभी तो अख़बारों में ये भी आया कि मोदी जी आएँगे तो भारत की राजधानी लाहौर शिफ़्ट करदी जाएगी क्योंकि पाकिस्तान तो रहेगा नहीं!
बाद में जब दामोदरदास जी सत्ता में आये तो हर साल देश के सैनिकों की शाहदत बढ़ती ही चली गयी!
नरेंद्र भाई ने 15 का वादा किया तो सब ने नरेन्द्र भाई को मसीहा ही मान लिया वो अलग बात है कि अब मसीहा रात को डराता है!
1 करोड़ नॉकरी हर साल का जो गोला दिया अब वो बस 6 लाख पर अटक गया!
मतलब किसी भी क्षेत्र में मोदी जी कुछ नहीं कर पाए!
अब 2019 में जीतने के लिए कोई दंगा वंगा करवाना ज़रूरी हो गया है दामोदरदास जी के लिए!
बिना डिग्री वाले अर्थशास्त्री कहने लगे पकौड़ा बेचना भी तो जॉब है तो भाई कांग्रेस के टाइम क्या लोग पकौड़ा नहीं बेचते थे!
लेकिन बेचारे किसी पकौड़े वाले से पूछो की वो किस मजबूरी में सड़क के किनारे दिन भर धूल खाता ये काम करता है!
वो पकौड़े बेच कर अपनी औलाद को उच्च शिक्षा देना चाहता ही था कि एक चाय वाले ने कह दिया कि भाई तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो जॉब कर रहे हो पकौड़ा बेच कर अपने बच्चों से भी बिकवाओ!
Attempt of murder के आरोप में जेल की दाल खा चुके अमित शाह जी कहते हैं इसमें कोई शर्म की बात नहीं हैं बिल्कुल शाह जी शर्म तो आज देश की जनता को आती होगी कि उन्होंने तुम्हारे जैसों को सत्ता की बागड़ोर सम्भला दी!