कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार देखे जाने वाले घनश्याम तिवाड़ी को वसुंधरा राजे की दुश्मनी ने इस कगार पर पहुंचाया की सांगानेर विधानसभा से उनकी जमानत तक जब्त हो गयी। तिवाड़ी ने भाजपा से अलग होकर भारत वाहिनी नाम से अपनी पार्टी बनाई ओर उनकी पार्टी अब तके खाता भी ना खोल सकी है,खुद घनश्याम तिवाड़ी को मात्र 8000 ओर कुछ वोट मिल पाए।
किसी नेता को शिखर से इस स्तर तक पहुंचता देख अजीब सी कैफियत होती है की वह अकेले में कैसा महसूस करते होंगे।
याद रहे की घनश्याम तिवाड़ी अपने आपको संघ का वफादार सिपाही बताते आए हैं। ओर जयपुर में संघ का गढ़ माने जाने वाले सांगानेर में उन्हें खुद अपने संघी साथियों का सहारा ना मिला।
राजस्थान की राजनीति का घनश्याम तिवाड़ी अध्याय आज चुनावी नतीजों के साथ ही समाप्त हो गया है। राजनीति का यही रूप है,बस खुली आँखों से देखते रहिए।