By:Himanshu kumar
राजस्थान में 500 से ज्यादा किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया है
कुछ माह पहले जब किसानों ने फसलों का सही दाम दिलाने और कर्ज माफी के लिए आंदोलन किया था
तो सरकार ने वादा किया था कि वह किसानों की सभी मांगें मान लेगी
लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर गई
किसानों ने फिर से आंदोलन शुरू किया
12 फरवरी से किसान अपने-अपने गांव से पैदल ही राजस्थान की राजधानी जयपुर के लिए निकल पड़े
सरकार घबरा गई
पुलिस ने किसान नेताओं की धरपकड़ शुरू कर दी
किसान नेता अमरारामजी, प्रेमारामजी, हेतराम बेनीवाल समेत
पांच सौ किसान नेताओं को जेलों में डाल दिया गया है
किसान पूरे देश के लिए खाना पैदा करता है
किसानों का खास ख्याल रखना सरकार की जिम्मेदारी है
लेकिन सरकार अरबों-खरबों रुपया उद्योगपतियों के ऊपर लुटा रही है
किसानों को घाटे की खेती करनी पड़ रही है
और यह घाटा सरकार की गलत नीतियों के कारण हो रहा है
इसलिए किसानों का कर्ज माफ करना
और उन्हें पूरा मूल्य देना यह सरकार की ही जिम्मेदारी है
सरकार द्वारा जो दमनात्मक कार्रवाई करी जा रही है
वह इस देश को भयानक अन्न संकट की ओर ले जाएगी
सारे देश को राजस्थान के किसानों का समर्थन करना चाहिए
किसान नेताओं के साथ-साथ राजस्थान की भाजपा सरकार ने राजस्थानी के कवि विनोद स्वामी को भी गिरफ्तार कर लिया है उनका अपराध बस यह है कि वह किसानों के लिए कविताएं लिखते हैं उनके मित्र ने उनके लिए यह कविता लिखी है
पाश ! तुम अभी गिरफ्तार नहीं हुए
तुम्हारे शब्दों की आंच अभी
सियासत की चारपाई के नीचे के पट्टों तक पहुंची है
हल्की सी कुलबुलाहट में उन्होनें नीचे एक हाथ से थपकी लगाई है
और इसका मतलब सीधा-सीधा यही है कि
तुम्हारा होना चैन से सोने वालों को अखर रहा है
और ये उनके लिए
एक भीषण आग का संकेत है…
मैं मानता हूं ये थपकी तुम्हारे लिए खाद का काम करेगी
अंगारे आग बनेंगे
शोला उगलेंगे तुम्हारे शब्द,
और जनता का खून पीने वालों की चारपाई
सुलग उठेगी किसी दिन
और हम धूं-धूंकर जलती देखेंगे एक दिन;
उनकी चैन की नींद
(प्रिय विनोद स्वामी खातर) राजस्थानी अनुवाद
पाश ! थूं अजे गिरफ्तार कोनी होयो
थारै शब्दां री आंच अजे
सियासत री माची रै नीचलै पट्टां ताईं पहोंची है
हळकी सी थारी इं दस्तक स्यूँ बां एक हाथ सूं थपकी लगाई है
अर इण रो सीधो-सीधो मतलब है कै
थारो होणो लुटेरै लोगां’नै अखरै है !
अर ओ बां खातर
एक भीषण आग रो संकेत है
हूं मानूं आ थपकी थारै खातर खाद रो काम करसी
कोयला आग बणसी
शोला उगळसी थारा शब्द,
अर जनता गो खून पीण’आलाँ री मांची
सुलग जेसी एक दिन
अर म्हें धधक-धधक बळती देखांला एक दिन, बांरी चैन री नींद
एस. एस. पंवार
(राजस्थानी अनुवाद, एसएस पंवार द्वारा ही )