राजस्थानी लोकसंगीत हमेशा कर किसी को मंत्र मुग्ध कर देता है!प्राचीन साज़ों से सुसज्जित लोक गीत राजस्थान के ख़ूबसूरत इतिहास और यहाँ की सँस्कृति को सदियों से सहेजे हैं!
जितना महत्व यहां के दिल छू जाने वाले गीतों का है उसमें साज़ों का अपना अलग महत्व रहा है!
डमरू,ढोलक जैसे साज़ों ने राजस्थानी संगीत को वास्तव में एक सम्रद्धि बख़्शी है!आज हम ऐसे ही बहुमूल्य साज़ के बारे में बात करते हैं!
रावण हत्था
नारियल के खोल पर चमड़ा मंढ़कर इस यंत्र को बनाया जाता है।
इसमें 9 तारों का प्रयोग किया जाता है।
पाबूजी की फड़ बांचते समय इसका प्रयोग किया जाता है।
आपने केसरिया बालम तो सुना होगा आज उसे रावण हत्था के माध्यम से सुनिये!