किसान कर्ज माफी के बाद लगने लगा है कि लोकसभा चुनाव का प्रमुख मुद्दा होगा भारत का “किसान”।
।अशफाक कायमखानी।
दिसंबर मे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद तीन राज्यों मे बनी कांग्रेस सरकारो ने अपने नेता राहुल गांधी के चुनाव प्रचार के समय मे सभाओ को सम्बोधित करते हुये यह कहने कि अगर कांग्रेस सरकार बनती है तो दस दिन मे दो लाख तक का किसानों का कर्जा माफ होने को अमलीजामा पहनाते हुये राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारो ने दो लाख रुपयों तक का किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा करने के बाद साफ लगने लगा कि भारत के पांच माह बाद होने वाले आम लोकसभा चुनावों मे “किसान” भारतीय राजनीति का केंद्र बिन्दु व किसान कर्जा प्रमुख मुद्दा बनने वाला है।
भारत मे एचडी देवेगौडा के प्रधानमंत्री काल के पुरा होने के बाद भारत की राजनीति किसानों से अलग हटकर कोरपोरेट घरानो के हित साधने की तरफ जाना शुरु होकर पिछले महीने तक उसी ढर्रे पर चल रही थी। लेकिन हताश हो चुकी कांग्रेस ने जुमलेबाजी करने वाली मोदी सरकार की पार्टी भाजपा की सरकारों को प्रदेश से उखाड़ भगाने के लिये किसानों का कर्ज माफ करने का कहकर किसानों का मत पाने की हमदर्दी पाकर सरकारे बना कर वादे के मुताबिक लोन माफ करके किसानों का भरोसा जीत लेने के बाद अब साफ नजर आने लगा है कि करीब पच्चीस साल बाद फिर किसान वर्ग भारतीय राजनीति का एक अहम मुद्दा बनने जा रहा है।
हालांकि तीन प्रदेशों की कांग्रेस सरकारों द्वारा किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ करने मे पहले की अन्य सरकारों की घोषणाओं की तरह अनेक तरह की पेचीदगियां सामने आयेगी एवं विरोधी दल भी अनेक तरह के सवाल इस कर्जमाफी पर खड़े करेगे। लेकिन तब तक जनता कुछ सोचने की कोशिश करेगी तब तक देश भर का किसान भारतीय राजनीति का केंद्र बिंदु बन चुका होगा। 1989 मे चोधरी देवीलाल ने वीपी सिंह के साथ मिलकर अलग से जनता दल नामक राजनीतिक दल बनाकर चुनावो मे सरकार बनने पर किसानों का कर्ज माफी करने की घोषणा करके सरकार के लिये बहुमत पाकर सरकार बनने पर कर्ज माफ करने पर उनको काफी राजनीतिक हाईट मिली थी। चोधरी देवीलाल के बाद अब जाकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी फिर किसानों का कर्ज माफ करने का मुद्दा लेकर आने के बाद जुमले वाली सरकार के सामने गहरा संकट दिखाई देने लगा है।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान जैसे तीन प्रदेशों मे कांग्रेस सरकार बनने के बाद आसाम की भाजपा सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने व गुजरात की भाजपा सरकार ने बीजली बील माफ करने की घोषणा करने पर मजबूर हुई है। लेकिन कर्जा माफी की घोषणा का राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिलेगा उतना शायद भाजपा को किसी हालत मे मिलने वाला नही है। तीन प्रदेश की सरकारों द्वारा कर्ज माफी करने के बाद करीब पच्चास हजार करोड़ रुपयो का अतिरिक्त भार उन तीनो प्रदेश की सरकारों को झेलना होगा। लेकिन तीनो सरकारों ने अपने नेता राहुल गांधी की घोषणा पर पूरी तरह अमल करके जनता का विश्वास जीत लिया है। जबकि भारतीय जनता के मन मे एक भावना पूरी तरह घर कर गई है कि भाजपा बडे बडे उधोगपतियों व कोरपोरेट घरानो का कर्ज माफ करती है। जबकि कांग्रेस किसानों की दशा सुधारने व उनके आत्महत्या करने से बचाने के लिये किसानों का कर्ज माफ करने लगी है।
कुल मिलाकर यह है कि पांच माह बाद भारत मे होने वाले आम लोकसभा चुनावों मे भाजपा चाहे मंदिर मुद्दे को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश करे लेकिन किसान व गरीबी ही हर हाल मे प्रमुख मुद्दा बनकर रहेगा। हाल ही मे पांच राज्यों मे सम्पन्न हुये विधानसभा चुनावों के पहले पंजाब व कर्नाटक के विधानसभा चुनावों मे भी कर्जा माफी की घोषणा करने वाले दलो को ही मोदी इफेक्ट के बावजूद सरकार बनाने का अवसर मिला है।