जोधपुर की कोर्ट ने आज आसाराम को नाबालिग बच्ची से रेप करने का दोषी करार दिया है। इस मामले वो करीब पांच साल से आसाराम जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद है। आसाराम के साथ दो और को दोषी करार दिया गया है, वहीं दो को बरी कर दिया गया है। इस मामले में आसाराम को सलाखों के पीछे पहुंचाने और उसके खिलाफ सबूत जुटाने में अहम रोल सीनियर पुलिस अधिकारी अजयपाल लांबा का रहा है। लांबा ने इस केस को हाथ में लिया तो कई मुश्किलों का उन्हें सामना करना पड़ा। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस केस को छोड़ देने के लिए लांबा को 2000 से ज्यादा धमकियां मिलीं। उन्हें धमकीभरे फोन कॉल आए और हजारो चिट्ठियां भी आईं, जिनमें केस ना छोड़ने पर जान लेने की धमकियां दी गईं।
2013 में मिला था लांबा को ये मामला
लांबा को 20 अगस्त 2013 को आसाराम का केस मिला, उस वक्त वो जोधपुर वेस्ट के डीसीपी थे। वो बताते हैं कि इस केस में उन्हें कई ऐसी चीजें देखी जो परेशान करने वाली रहीं, इसमें लगातार धमकियां, गवाहों की हत्या और मीडिया में केस का रहना भी शामिल है। 2005 बैच के आईपीएस अफसर बताते हैं,’मुझे चिट्ठियां आती थीं, जिनमें आसाराम को कुछ भी होने पर मेरे परिवार को मार डालने की धमकी होती थी, फोन पर नए नंबरों से धमकियां रुकती ही नहीं थीं और ये सब तब तक चलता रहा, जब तक मैं उदयपुर शिफ्ट नहीं हो गया।’
बच्ची को स्कूल भेजना बंद कर दिया था
अजयपाल लांबा इस समय जोधपुर में एसपी (एंटी करप्शन ब्यूरो) हैं। वो बतातें हैं कि एक वक्त इस केस को हैंडल करते हुए ऐसा भी था, जब वो अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर इतने परेशान थे कि कुछ दिनों के लिए बेटी को स्कूल भेजना बंद कर दिया था। वो बतातें हैं कि उनकी पत्नी घर के बाहर कई-कई दिन तक नहीं निकलता थीं। वो बताते हैं कि जांच के बाद 10 हफ्ते में उन्होंने पहली चार्जशीट दााखिल की थी। हालांकि लांबा कहते हैं कि उन्होंने किसी तरह का राजनीतिक दबाव जांच में महसूस नहीं की! इंदौर से किया आसाराम को गिरफ्तार
लांबा कहते हैं कि आसाराम को गिरफ्तार करना बड़ी चुनौती की तरह था क्योंकि इससे कानून व्यवस्था के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती थी लेकिन रणनीति के तहत पुलिस ने उसे इंदौर से गिरफ्तार किया और पुलिस रिमांड पर रखने के बाद जोधपुर की सेंट्रल जेल भेज दिया।
आपको बता दें कि आसाराम के पास ना सिर्फ अरबों की संपत्ति है बल्कि उसके पास हजारों भक्तों की फौज है जो उसके नाम पर हिंसा से भी पीछे नहीं हटते हैं। ऐसे में जाहिर है कि आसाराम के खिलाफ रेप जैसे गंभीर मामले की जांच करना, सुबूत जुटाना, उन्हें अदालत के सामने रखना, पीड़िता को भी सुरक्षा का भरोसा दिलाना आसान काम नहीं था लेकिन लांबा ने ये करके दिखाया।