केन्द्र सरकार द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश बजट 2019-20 दिशाहीन बजट है और इसमें कोई बड़ी सोच दिखाई नहीं देती। अन्तरिम बजट में पेश किया गया विजन 2030 एक मजाक है, क्योंकि वर्तमान सरकार का कार्यकाल 3 माह में समाप्त हो रहा है। यह बजट चुनावी घोषणाओं का पिटारा मात्र है और युवाओं तथा किसानों के लिए बेहद निराशाजनक है। बेरोजगारी की समस्या के निराकरण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। किसानों की आमदनी बढ़ाने के केन्द्र सरकार के प्रयास भी पूर्णतः विफल रहे हैं। 2 हैक्टेयर तक की भूमि वाले किसानों को 6 हजार रूपये वार्षिक सहायता अपर्याप्त है। मैंने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था कि किसानों के कर्जें माफ होने से ही उनकी तकलीफ दूर हो सकेगी।
केन्द्रीय बजट में राजस्थान के लिए कोई विशेष घोषणा नहीं होने से प्रदेशवासियों को निराशा ही हाथ लगी है। व्यापारी वर्ग को बजट में जीएसटी के स्लैब कम होने की आशा थी, लेकिन इसके बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है। उन्होंनेे कहा कि आम बजट में पहले से संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना, सौभाग्य योजना, पीएमजेएसवाई, एलईडी बल्ब योजना आदि में बजट राशि काल्पनिक रूप से बढ़ाई गई है।
आम बजट में अर्थशास्त्र और राजकोषीय सिद्धांतों की परवाह नहीं की गई है। बजट में सरकार के खर्चाें को बेतहाशा बढ़ाया गया है, लेकिन आय के स्रोतों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। केन्द्र सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन से इस बजट में राजकोषीय घाटा बहुत अधिक बढ़ जाएगा।
(अशोक गहलोत की फेसबुक वॉल से साभार)