राजस्थान सरकार ने स्टेट हाइवे पर 1 नवंबर की रात से निजी वाहनों टोल लेना फिर से शुरू कर दिया जिसके बाद ही सरकार चौतरफा घिरती हुई नजर आ रही है। विपक्ष के नेताओं के साथ-साथ सरकार के अपने कुछ लोगों से भी फैसले के विरोध में स्वर सुनाई दे रहे हैं।
गौरतलब है कि निजी वाहनों पर टोल में 18 महीने पहले गत वसुंधरा सरकार ने राहत दी थी। इस फैसले के बाद अब जहां एक तरफ प्रदेश की राजनीति गरमा गई है वहीं राजनीति में बयानबाजी का दौर भी चल पड़ा है। आइए आपको सिलसिलेवार तौर से बताते हैं कि किसने क्या कहा।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया
पूनिया ने सरकार के इस फैसले को दिवाली का तोहफा तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश के निजी वाहन मालिकों पर वित्तीय बोझ पड़ता है जिसके कारण राजे सरकार ने 1 अप्रेल 2018 को उन्हें छूट दी थी लेकिन गहलोत सरकार ने अपना रूख साफ कर दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे
जनता की मांग पर मैंने स्टेट हाईवे को टोल फ्री करने का आदेश दिया था लेकिन अब सरकार टोल लेना फिर से शुरू कर रही है। ये ही फर्क है जो कांग्रेस व भाजपा को अलग करता है। हमारा काम जनता को राहत देने का है और कांग्रेस वाले आहत करने के लिए आए हैं।
हनुमान बेनीवाल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी संयोजक
बेनीवाल ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर दी जहां लिखा कि गहलोत सरकार का राजस्थान में स्टेट हाइवे पर निजी वाहनों को फिर से टोल लेने का फैसला जन विरोधी है।
राजस्थान सरकार जनता की भावनाओं के साथ खेल रही है, जिसे बर्दाश्त नही किया जाएगा। हमारी किसान हुंकार रैलियों में राज्य को टोल मुक्त करवाना प्रमुख एजेंडा था जिसमें भाजपा सरकार ने कुछ राहत दी थी। अगर सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती है तो पूरे प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा।
उदयलाल आंजना, सहकारिता मंत्री
गहलोत सरकार के मंत्री आंजना ने कहा कि एक बार छूट देने के बाद वापस लगाते हैं तो जनता का विरोध झेलना पड़ता है।
रघु शर्मा, स्वास्थ्य मंत्री
रघु शर्मा ने इस मसले पर कहा कि भाजपा का टोल बंद करना एक चुनावी स्टंट था। अगर सही मायनों में माफ करना था तो सरकार ने 2018 में चुनाव से ठीक पहले क्यों किया?
प्रताप सिंह खाचरियावास, परिवहन मंत्री
खाचरियावास बोले कि प्रदेश में सड़कों के हालात बहुत खराब हैं उन्हें सुधारने के लिए टोल जरूरी होता है। प्रदेश के राजकोष को जब मज़बूती मिलेगी तो सड़कें भी मजबूत होगी।