राजस्थान में गहलोत सरकार अगले महीने अपना एक साल पूरा करने जा रही है, ऐसे में सरकार कई अहम घोषणाएं कर सकती है। इन घोषणाओं में सबसे अहम है जनाधार (जन आधार) कार्ड जारी करना। जी हां, पिछली सरकार की फ्लैगशिप योजना भामाशाह कार्ड योजना में बदलाव कर गहलोत सरकार अब जनाधार (जन आधार) कार्ड जारी करेगी।
मालूम हो कि पिछली भाजपा सरकार में भामाशाह कार्ड के जरिए लोगों को कई सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा था जिसकी शुरूआत वसुंधरा राजे के 2003-2008 के कार्यकाल में की गई थी. हालांकि इस योजना पर पूरा काम 2013 में भाजपा सरकार के वापस लौटने पर हुआ और इसे पूरे देश में लागू किया गया।
गत राजे सरकार में राजस्थान के 1.74 करोड़ परिवारों के भामाशाह कार्ड बनाए गए जिसके जरिए 56 सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। भामाशाह कार्ड किसी एक परिवार के मुखिया के नाम जारी किया जाता है जिसमें सामजिक सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य बीमा की सभी योजनाओं को शामिल किया गया है।
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने किया भामाशाह कार्ड का विरोध
राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान कांग्रेस ने इस योजना को लेकर विरोधी स्वर तेज कर दिए थे. वर्तमान चिकित्सा मंत्री रधु शर्मा ने भामाशाह कार्ड को फाड़ कर फेंकने जैसे बयान दिए। कांग्रेस के विरोध का मुख्य कारण यह था कि वसुंधरा सरकार में जारी किए गए भामाशाह कार्ड में मुख्यमंत्री के फोटो के साथ भाजपा का चुनाव चिह्न छपा था।
इस योजना को बंद करने की बात कहने वाली कांग्रेस जब सत्ता में लौटी तो इस योजना को बंद ना कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसमें अहम बदलाव की घोषणा की और जनाधार कार्ड लाने की बात कही।
क्या है जनाधार कार्ड ?
गहलोत सरकार द्वारा अगले महीने जारी किए जाने वाले जनाधार कार्ड पर सरकार को करीब 17-18 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। जनाधार कार्ड का रंग बदला जाएगा और इससे कई नई योजनाओं को जोड़ा जाएगा।
वहीं इस कार्ड में चिप की जगह क्यूआर कोड होगा जिससे स्कैन के जरिए सीधे कार्ड धारक का डेटा मिल सकेगा। इसके अलावा भामाशाह कार्ड परिवार के किसी मुखिया का बनता था जिसमें उसे एक खास तरह का नंबर दिया जाता था. लेकिन जनाधार कार्ड में परिवार के हर सदस्य को एक खास तरह का नंबर दिया जाएगा जो उनके आधार कार्ड से लिंक होगा।