“हमने हमेशा अपने बच्चों को उत्पीड़न के खिलाफ खड़ा होना सिखाया है, अच्छाई के साथ खड़े रहने और बुराई के खिलाफ लड़ने की सीख दी है, नागरिकता कानून मुसलमानों के खिलाफ उत्पीड़न है और इसके खिलाफ मेरा बेटा लड़ रहा था.”
यह बात दिल्ली दंगों के मामले में यूएपीए के तहत जेल में कैद सीएए विरोधी कार्यकर्ता अतहर खान के पिता अफ़ज़ल खान ने कही, 25 वर्षीय अतहर एक साल से अधिक समय से जेल में है। वह उन हज़ारों लोगों में से एक हैं, जिनमें ज्यादातर मुसलमान हैं, जो 2019-20 की सर्दियों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरुद्ध सड़कों पर उतर आए थे। यह आंदोलन भारत की आजादी के इतिहास में सबसे बड़े विरोध आंदोलनों में से एक रहा है।
2020 के फरवरी महीने में हुए दिल्ली दंगों की शुरुआत 23 फरवरी 2020 को भाजपा नेता कपिल मिश्रा के पुलिस की मौजूदगी में दिए गए एक भड़काऊ भाषण और चेतावनी के बाद हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पुलिस सीएए विरोधियों का धरना हटाने में नाकाम रही तो उनके समर्थक भीड़ (सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों) को हटाने के लिए हिंसा का सहारा लेंगे। इसके बाद सशस्त्र भीड़ तेजी से उत्तरपूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में फैल गई और सांप्रदायिक हिंसा में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम थे।
पुलिस ने दंगों के बाद सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को दोषी ठहराया और अतहर खान सहित कई सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं को गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) यूएपीए एवं अन्य धाराओं के तहत हिरासत में लिया और आरोप लगाया कि उन्होंने फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे भड़काने की साजिश रची थी।
इन आरोपों के तहत गिरफ्तार किए गए छात्रों एवं समाजिक कार्यकर्ताओं में उमर खालिद, खालिद सैफी, शरजील इमाम, मीरान हैदर, शिफा उर रहमान, गुलफिशा फातिमा, इशरत जहां, शादाब अहमद जोकि अभी भी जेल में हैं, अन्य सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल भी शामिल थे जिन्हें ज़मानत मिल गयी है।
इन सभी सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं को लेकर मीडिया में लगातार चर्चा होती रही है लेकिन कुछ ऐसे भी नाम हैं जिन्हें लेकर इस दौरान ज़्यादा चर्चा नहीं की गयी है उन नामों में से एक अतहर का नाम भी है।
जब मैंने अतहर की अम्मी नूर जहां से अतहर के जेल में 500 दिन बीत जाने पर सवाल किया तो उन्होंने इसे ज़िंदगी का सबसे दुखद इम्तहान बताते हुए कहा की
“मैं इस सवाल पर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हूँ की ये गुज़रे हुए दिन मेरे लिए कैसे थे ? कोई वक़्त ऐसा नहीं गया जब हम उसको भूल पाए हों, बेशक वो हमारी आँखों से दूर है लेकिन दिल दिमाग में इस तरह से रहा है की बता नहीं सकते”
अतहर खान को पहली बार मई 2020 में लोधी रोड पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल में बुलाया गया था। इस दौरान पुलिस ने उससे दिनभर पूछताछ की, अतहर की अम्मी ने बताया की जब वह पूछताछ के बाद घर लौटा तो उसने हमसे इस बारे में बात नहीं की, उसे इस दौरान उसे पीटा गया था और वो ठीक से चल तक नहीं पा रहा था।
अतहर के पिता अफ़ज़ल खान ने बताया की 1 जुलाई 2020 की शाम पुलिस ने अतहर को फिर से सेल में बुलाया था, अगले दिन वह जांच अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए लोधी रोड गया। दो घंटे के बाद, उनके पास एक सब-इंस्पेक्टर का फोन आया वे अतहर की बाइक घर ले जाने के लिए कह रहे थे, उनके पिता ने जब पुलिस से पूछा की वे उसे गिरफ्तार क्यों कर रहे हैं तो जवाब आया की ये सवाल अब हम अदालत में करना चाहिए।
अतहर परिवार के चार बेटों में सबसे बड़े हैं। वह एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसका दमनकारी शासन के खिलाफ खड़े होने का इतिहास रहा है। उनके पिता अफ़ज़ल खान कहते हैं की अतहर के दादा पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू किए गए आपातकाल के दौरान विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय थे।
अतहर के परिवार को लगता है कि उनका बेटा गुनाहों की सज़ा भुगत रहा है जो उसने किए ही नहीं, अतहर की अम्मी नूर जहाँ कहती हैं की
“अतहर जेल में है क्योंकि वह एक मुसलमान है जबकि लोगों की हत्या करने वाले असली अपराधी अपने जीवन का आनंद ले रहे हैं। जो लोग मुसलमानों से नफरत रखते हुए काटने और मारने का नारा लगाते हैं उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती लेकिन अपने हक के लिए लड़ने वाले नौजवानों को जेल के भीतर ठूस दिया जाता है,मेरा बेटा इसके लायक नहीं है की वो जेल की अँधेरी कोठरी में रहे, उसे भी खुले आसमान के नीचे जीने का हक है और उसे उसका हक मिलना चाहिए”
दंगों की साजिश रचने के मामले के अलावा अतहर खान पर उस भीड़ का हिस्सा होने का भी आरोप था जिसने दंगों के दौरान एक पुलिस अधिकारी रतन लाल की कथित तौर पर हत्या कर दी थी, उनपर दंगों के दौरान एक शोरूम में लूट से संबंधित तीसरे मामले में भी धराएं लगाई गयी थी, इन दोनों मामलों में अतहर को ज़मानत मिल गयी है जबकि वे यूएपीए के तहत अभी भी जेल में हैं।
अतहर के पिता अफ़ज़ल हुसैन कहते हैं की “मुसलमानों को मुल्क में दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश हो रही है, ये मुल्क हमारा है, यहां के लोग हमारे हैं, हमारी लड़ाई बराबरी की लड़ाई है और यही लड़ाई लड़ने की वजह से मेरा बेटा जेल गया गया है,मेरा बच्चा मासूम है, उसके ऊपर संगीन धाराएं सिर्फ सरकार की नीतियों के खिलाफ खड़े होने की वजह से लगाई गयी हैं”
कब तक रिहा हो जाएंगे की उम्मीद के सवाल पर वे कहते हैं की “जिस दिन अदालत में ठीक सुनवाई हो जाए मेरा बेटा बाहर आ जाएगा, तारीख पर तारीख टाली जाती हैं, हमारा आदलत पर भरोसा है इसलिए अब तक ज़िंदा हैं, उम्मीद है की अतहर जल्द बाहर आ जाएगा”
अतहर खान के मामा नजमुद्दीन ने कहा की हमें अदालत से उम्मीद और अतहर जल्द जेल से बाहर आएँगे और हमारी ये उम्मीद नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इक़बाल की रिहाई के बाद बढ़ गयी है।
-अहमद क़ासिम