त्रिकोणीय संघर्ष के असमंजस में फँस गई है अलवर लोक सभा सीट!


2014 में बीजेपी के महंत चाँद नाथ ने 6, 42, 278 वोट हासिल करके, कांग्रेस के भंवर जितेंद्र सिंह को 2, 83, 895 वोट से पराजित किया. भंवर जीतेन्द्र सिंह को 3, 58, 383 वोट मिला.

बसपा के आज़ाद हुसैन को 19, 483, आप को 8517 वोट मिला.

2018 में उपचुनाव हुआ जिस में कांग्रेस के करन सिंह यादव ने 6, 42, 416 वोट लिए जबकि बीजेपी के जसवंत सिंह यादव को 4, 45, 920 वोट मिले . उपचुनाव कांग्रेस ने 1, 96, 496 वोट से जीता.

2019 में कांग्रेस उम्मीद वार भंवर जीतेन्द्र सिंह हैं . बीजेपी से महंत बालक नाथ और बसपा से इमरान खान उम्मीदवार हैं.

नागौर के बाद अलवर दूसरा लोकसभा क्षेत्र है जहाँ बसपा का उम्मीद वार मुस्लिम है.

2018 में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए जिस में इस लोकसभा क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में
कांग्रेस को 4, 60, 340, बीजेपी को 4, 84, 151, बसपा को 2, 86, 093, सपा को 24653, और निर्दलीय को 55160 वोट मिला.

तिजारा, किशन गढ़ बास विधानसभा क्षेत्रों पर बसपा उम्मीद वार जीते जहाँ उनको 1, 33, 267 वोट मिला. बसपा उम्मीद वार मुंडावर में 55, 589 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहा.

बसपा को बहरोड़ में 12, 433, अलवर देहात में 25379, अलवर शहर में 6370, रामगढ़ में 24, 856, और राजगढ़ -लक्षमण गढ़ में 28199 वोट मिला.

इस सीट को जीतने के लिए बीजेपी 5 लाख वोट का आंकड़ा क्रॉस करना चाहती है क्यों की उसको मुस्लिम मतों के कांग्रेस और बसपा में विभाजित होने की आशा है.

अगर मुस्लिम वोट बसपा की तरफ सभी 8 क्षेत्रों में जाते हैं तब बसपा साढ़े चार लाख वोट क्रॉस कर लेगी . इस दशा में उसका मुख्य मुक़ाबला बीजेपी से होगा.

कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही 4 या साढ़े चार लाख वोट हासिल कर सकती हैं.

इसलिए सीट पर त्रिकोणात्मक संघर्ष है. जिस तरफ भी ध्रुवी करण होगा, उसकी सीट पर जीत होगी.जीत हार का अंतर कम रह सकता है.

 

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