राजस्थान सरकार के माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा 348 महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) की स्थापना के संबंध में आदेश जारी होने के बाद से ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। इस आदेश के बाद 249 बालिका विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने के साथ साथ ही उनको सह शिक्षा में भी बदल दिया गया है। जिसका अभिभावकों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
राजस्थान का शिक्षा विभाग, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई बजट वर्ष 2021-22 की घोषणा संख्या 37 की क्रियान्विति के क्रम में 2 वर्षों में चरणबद्ध रूप से अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने जा रहा है। प्रथम चरण में 348 राजकीय विद्यालयों को “महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) में रूपान्तरित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) में रूपान्तरित किये गए इन विद्यालयों का संचालन शैक्षणिक सत्र 2021-22 से प्रारम्भ किया जायेगा। संचालन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
इस आदेश के आने के बाद झालावाड़ जिले के सुनेल कस्बे में बालिका विद्यालय का सह शिक्षा में समायोजन नहीं किए जाने के संबंध में दिनांक 09.09.2021 को महात्मा गाँधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) सुनेल के सभागार में समस्त ग्रामवासी, अभिभावक, सामाजिक संगठन एवं प्रधान पंचायत समिति पिड़ावा के साथ एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें तीन मुख्य बिन्दु सामने आए
1. रा०बा० उ०मा०वि० सुनेल को सह शिक्षा से मुक्त किया जाए ।
2. महात्मा गाँधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) सुनेल को रा०उ०मा०वि. सुनेल बनाया जाए ।
3. रा०उ०प्रा०वि० नवीन बस स्टेण्ड सुनेल को महात्मा गाँधी राजकीय विद्यालय ( अंग्रेजी माध्यम) सुनेल में परिवर्तित किया जाए ।
उपरोक्त तीनो बिन्दूओ की अभिशंषा मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारा कर के जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भेज दिया गया है।
अभिभावकों का कहना है कि हमारा विरोध अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई को लेकर नहीं है बल्कि हमारा विरोध जो सरकारी गर्ल्स स्कूल इंग्लिश मीडियम कर दिए गए उन्हें को एजुकेशन यानि सह शिक्षा में बदलने को लेकर है।
राजस्थान परंपराओं में बंधा हुआ राज्य है ,जहां बाल विवाह जैसी बुराई पर भी बड़ी मुश्किल से काबू पाया गया है यहां आज भी मां बाप अपनी बेटी को पढ़ाई कराने से कतराते हैं। अब हालात पहले से बेहतर हुए हैं और बालिका शिक्षा में भी राजस्थान आगे बढ़ रहा है। अब 249 बालिका स्कूल को अंग्रेजी माध्यम के साथ साथ सह शिक्षा में बदल देने से इसका असर बच्चियों की शिक्षा पर भी पड़ेगा। बहुत से मां बाप आज भी ऐसे हैं जो नहीं चाहते की उनकी बेटी लड़कों के साथ स्कूल जाए। इसके पीछे मां बाप आज के हालात को देखते हुए बेटी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और आए दिन होने वाली दुष्कर्म और छेड़खानी की घटनाओं का तर्क देते हैं।
जो मां बाप अपने बेटियों को सिर्फ बालिका स्कूल में ही पढ़ाना चाहते हैं हो सकता है इस फैसले के बाद वो बच्चियों का स्कूल जाना ही छुड़वा दें।
एक अन्य अभिभावक का कहना है कि गर्ल्स स्कूल जब इंग्लिश मीडियम हो जाता है तो उसमें लड़के और लड़कियां साथ-साथ पढ़ते हैं अगर सरकार को गर्ल्स स्कूल को इंग्लिश मीडियम बनाना है तो लड़कों का एडमिशन नहीं दें, फिर कोई प्रॉब्लम नहीं है। लेकिन इंग्लिश मीडियम बनाने का मतलब यह है कि वह स्कूल जनरल स्कूल बन जाता है और कोई भी उस में एडमिशन ले सकता है। जब लड़के भी साथ में पढ़ेंगे तब यह तो हमारी लड़कियों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी ।
सरकार अगर चाहे तो जो बॉयज स्कूल हैं उन्हें ही इंग्लिश मीडियम कर दे, बॉयज स्कूल में बालिका विद्यालय से सुविधाएं भी ज्यादा होती है जैसे बड़ी बिल्डिंग, बड़े खेल के मैदान। ऐसे में जिस किसी भी बालिका को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ना होगा वो उस स्कूल में एडमिशन ले सकती है और जिसको हिंदी मीडियम से पढ़ाई करनी हो वो बालिका विद्यालय में पढ़ाई कर सकती है। बालिका विद्यालय को सह शिक्षा में बदल कर वहां लड़कों को एडमिशन नहीं दिया जाना चाहिए। इससे पहले भी साइंस पढ़ने के लिए लड़कियां बॉयज स्कूल में एडमिशन लेती रही है। वही सुविधा इंग्लिश मीडियम स्कूल के लिए भी की जा सकती है।
राजस्थान का सामाजिक ताना बाना ऐसा है जिसमें में आज भी महिलाओं को घूंघट में रहना पड़ता है और कहीं कहीं पर आज भी बाल विवाह जैसी कुरीति मौजूद है, सरकार को अभी इस दिशा में भी काम करने की बहुत जरूरत है। ऐसे हालात में बालिका विद्यालय में सह शिक्षा शुरू हो जाने से बच्चियों का स्कूल से ड्रॉप आउट बढ़ जाएगा। सरकार को इस दिशा में सोचते हुए बालिका विद्यालय को सह शिक्षा में बदलने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।