रविवार 11 अप्रेल को राजस्थान में बारां जिले के छबड़ा कस्बे में हुई सांप्रदायिक तनाव की घटना के बाद जिस तरीके से आगजनी और लूटपाट की गई है यदि प्रशासन चाहता तो इतनी बड़ी घटना को होने से रोक सकता था। प्रशासन की नाकामी और कुछ संगठनों की साजिश के तहत कस्बे में यह हालात बने हैं।
यह प्रारम्भिक तथ्य मानव अधिकार संगठन एनसीएचआरओ द्वारा की गई तथ्यात्मक जांच में जांच दल के सामने आये है।
संगठन के सचिव और जांच दल के सदस्य रामकुमार चावला ने प्रेस बयान जारी करके बताया कि प्रदेश अध्यक्ष रिटायर्ड जज टी.सी.राहुल के निर्देश पर जांच दल ने छबड़ा कस्बे का दौरा किया।
जांच दल ने पीड़ित पक्षों से मुलाकात करके घटना से संबंधित जानकारी और तथ्य इकट्ठा किए। प्राथमिक तौर पर जांच दल के सामने जो तथ्य उभर कर सामने आए हैं वो इस तरफ इशारा करते हैं की घटना एक साजिश के तहत अंजाम दी गई तथा यदि प्रशासन चाहता तो आपसी लड़ाई की छोटी सी घटना इस तरीके का बड़ा विकराल रूप धारण नहीं करती।
10 अप्रेल की रात को ही जब सोशल मीडिया पर दूसरे दिन भीड़ जमा होने की अपील की जा रही थी तब ही यदि स्थानीय प्रशासन चाहता तो भीड़ को जमा होने से रोक सकता था। लेकिन प्रशासन ने सोशल मीडिया पर मीटिंग के लिए की जा रही अपील को गम्भीरता से नहीं लिया। परिणाम स्वरूप शांति की दुश्मन ताकतों को हिंसा करने का पूरा मौका मिला।
उन्होंने बताया कि संगठन जल्दी अपनी विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगा और इस रिपोर्ट को राज्य के मुख्य न्यायाधीश, मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय तथा राज्य मानव अधिकार आयोग को भेजा जाएगा। जांच दल में प्रदेश कार्यसमिति के वर्षा सोनी और शब्बीर आज़ाद शामिल थे।