डीयर गहलोत साब, डीयर पूनियां साब…..
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव खत्म होने पर भी ये पहेलियां अभी अनसुलझी क्यों है ?
ताजा बात ये है कि राज्यसभा चुनावों में विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले की जांच अब ATS को सौंप दी गयी है, जो जांच पहले SOG कर रही थी. एसओजी के अधिकारी एसएसपी ने महेश जोशी को बयान देने के लिए 3 बार बुलाया लेकिन वो व्यस्तता की बात कहकर नहीं आए।
राज्यसभा चुनाव 19 को खत्म हुए, कांग्रेस के मनमुताबिक परिणाम आये, पैसों का खेल हवा हो गया, भाजपा ने एक अतिरिक्त प्रत्याशी उतारकर फजीहत करवाई। मुख्यमंत्री गहलोत से लेकर तमाम बड़े नेताओं ने चुनाव में करोड़ों रुपये का खेल होने की शंका जताई। राज्य के बॉर्डर सील हुए। सचिन पायलट ने कहा कोई पैसों की बात नहीं है।
चुनाव से पहले जोशी ने पुलिस महानिदेशक, एसीबी को पत्र लिखकर से एक शिकायत की थी कि ‘हमें अपने विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक की तर्ज पर बीजेपी, कांग्रेस के विधायकों के साथ ही हमारी सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को लालच देकर राजस्थान में सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है.’। हालांकि जोशी ने पत्र में किसी पार्टी या नेता का नाम नहीं लिया।
जब जोशी ने पत्र लिखा था तभी चर्चा हुई थी कि सारी जांच एजेंसी तो राज्य सरकार के तहत है फिर ये कैसी शिकायत है? क्योंकि एटीएस और एसओजी दोनों ही राज्य सरकार के तहत काम करती है।
वहीं इंडिया टुडे की 16 जून की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा था कि वो एसओजी के सामने आज या कल बयान दर्ज कराएंगे, लेकिन नहीं करवाया।
नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने शनिवार को कहा था कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचेतक होर्स ट्रेडिंग के आरोप को अब साबित करें अन्यथा भाजपा जवाबी कार्यवाही करेगी।
इसके अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने बाडाबंदी के दौरान निर्दलीय और दूसरे दलों के 23 विधायकों से रीको में प्लॉट, खान आवंटन, कैश ट्रांजैक्शन जैसी डील की है. वह बहुत जल्द इसका सबूत देंगे।
अब देखिए कांग्रेस ने चुनाव से पहले खरीद-फरोख्त का हो हल्ला खूब किया लेकिन अब मुख्य सचेतक बयान दर्ज नहीं करवा रहे, बस एक रट लगाए हैं कि मेरे पास सबूत हैं, सबूत हैं। भास्कर को दिए एक ताजा इंटरव्यू में जोशी कहते हैं कि जो इनपुट आये वो दे दिए मैंने, कौनसे इनपुट थे है अभी किसी को नहीं पता ?
दूसरी तरफ भाजपा शुरू से यह कह रही है कि अगर करोड़ों का खेल है तो जांच करवाओ, केस करवाओ लेकिन वहीं एक सवाल ये भी है कि जब संख्याबल था ही नहीं तो दूसरा प्रत्याशी क्यों उतारा इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता। जानकार कहते हैं कि एक तरह का मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए भाजपा ने जानबूझकर ऐसा किया।
क्या वाकई भाजपा सेंधमारी का कोई खेल खेलने के बारे में सोच रही थी या फिर कांग्रेस की आंतरिक कलह जानने की ये बस एक हवाई तिकड़म थी ?
आखिर में, चुनाव से पहले हॉर्स-ट्रेडिंग को लेकर गहलोत और पायलट के विरोधाभासी बयान भी आसानी से हजम नहीं होते, तो क्या पैसों का ये खेल सिर्फ गहलोत के दिमाग में रचा गया था ?
– अवधेश