राजस्थान मुस्लिम फोरम के सचिव मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने कहा कि, “कोविड-19 एक वैश्विक आपदा है जिससे हमारा देश भी जूझ रहा है।
यदि इसका हम विवेक के साथ मिल-जुल कर मुक़ाबला नहीं करेंगे तो जीत नहीं पाएंगे।”
उन्होंने टोंक में जिस प्रकार पुलिस के साथ हिंसा हुई उसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि पुलिस, प्रशासन और चिकित्सा कर्मी अपने आप को ख़तरे में डाल कर आम-जन को इस महामारी से निकालने में जुटे हैं। हमें उनका सम्मान करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि टोंक की घटना घोर निंदनीय है। वह एक ग़लतफ़हमी का परिणाम थी।
ग़लतफ़हमी इस कारण से पैदा हुई क्योंकि पुलिस कर्मी वर्दी में न हो कर सादा कपड़ों में थे।
जिससे भ्रम पैदा हो गया और लोगों ने उन के साथ हिंसा का बर्ताव किया जिससे उन्हें चोटें भी आईं।
उन्होंने कहा कि ग़लतफ़हमी के बावजूद उन्हें पकड़ कर पुलिस के हवाले करना चाहिये था। क़ानून अपने हाथों में नहीं लेना चाहिये था।
उन्होंने पुलिस कर्मियों को सुझाव दिया कि वे ड्यूटी के समय वर्दी में रहें ताकि लोग उन्हें पहचान कर उनके साथ सहयोग करें।
साथ ही वे लोगों के साथ नर्मी से पेश आएं क्योंकि ये आमजन हैं, अपराधी नहीं हैं।
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे पुलिस व प्रशासन और चिकित्सा कर्मियों का सहयोग करें, अपने आप को जाँच के लिए आगे हो कर पेश करें और लॉकडाउन के नियमों का पूरी तरह से पालन करें, ताकि इस संकट शीघ्र छुटकारा मिल सके।
उन्होंने लोगों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि लॉकडाउन के कारण कुछ परेशानियाँ अवश्य झेलनी पड़ रही हैं परन्तु कुछ दिनों तक सब्र से काम लें तो ये परेशानियाँ अपने आप ही समाप्त हो जाएंगी।
उन्होंने पुलिस व प्रशासन से अपील की कि वे आम जन में विश्वास पैदा करें।
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि स्क्रीनिंग के लिए जाने वाली टीमें क्षेत्र के धर्मगुरुओं तथा अन्य प्रभावशाली लोगों को अपने साथ लेकर जाएँ ताकि लोग बिना किसी प्रतिरोध के जाँच में सहयोग कर सकें।
साथ ही सरकारी टीमों को भी लोगों के साथ शालीनता एवं नर्मी से पेश आना चाहिये।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि हम सब मिल कर शीघ्र ही इस वैश्विक संकट से निजात पा लेंगे।