उदयपुर। गुरुवार को सलूंबर में दलित अध्यापक शंकरलाल मेघवाल की तलवार से गर्दन काटकर हत्या कर दी गई थी, इस हमले में उनके पिता भी गंभीर घायल हो गए थे। दलित परिवार पर जातिवादी, सामंती मानसिकता के चलते किए गए हमले और शंकरलाल मेघवाल की हत्या के खिलाफ न्याय की मांग को लेकर उनके परिजनों व इंसाफ पसंद लोगों द्वारा तीन दिन से उदयपुर के महाराणा भूपाल अस्पताल के शवकक्ष पर शव के साथ प्रदर्शन किया जा रहा है। रविवार को प्रदर्शन स्थल पर माकपा प्रतिनिधिमंडल ने पहुंच कर पीड़ित परिवार से मिलकर शौक प्रकट किया। साथ ही उपस्थित लोगों को शिक्षक शंकरलाल मेघवाल को न्याय मिलने तक आंदोलन में हर संभव सहयोग देने तथा संसद में माकपा के सीकर लोकसभा से सांसद अमराराम द्वारा मुद्दा रखवाने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहां कि समाज में जातिवादी, सामंती मानसिकता के चलते आज भी शिक्षक शंकरलाल मेघवाल की नृशंस हत्या कर दी जाती है। परिजन व अन्य लोगों द्वारा न्याय की मांग को लेकर 3 दिन से शव लेकर बैठना राज्य की भाजपा सरकार और जिला प्रशासन का नकारापन दिखाता है। भाजपा जब विपक्ष में थी तो कांग्रेस को हिंदु विरोधी सरकार कहकर आलोचना करती थी। क्या शंकरलाल मेघवाल हिंदु नहीं है जो आज 3 दिन से लोग न्याय मांग रहे है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
माकपा उदयपुर शहर सचिव हीरालाल साल्वी ने कहा कि शंकरलाल मेघवाल के परिजन कन्हैया लाल हत्याकांड की तर्ज पर मुआवजा मांग रहे है। माकपा इस मांग का समर्थन करती है। जब कन्हैया लाल और शंकरलाल मेघवाल दोनों इंसान है तो मुआवजे में भेदभाव क्यों? क्या भाजपा का हिंदु – प्रेम तभी जागृत होता है,जब आरोपी मुस्लिम हो? हम सब मिलकर शिक्षक शंकरलाल मेघवाल के परिवार को न्याय दिलाएगे। 28 जुलाई रविवार को पीयूसीएल उदयपुर की यूनिट द्वारा भी शंकर लाल मेघवाल की हत्या के संबंध में महाराणा भूपाल चिकित्सालय की मोर्चरी के बाहर जारी धरने में भाग लेकर संघर्ष को समर्थन दिया। पीयूसीएल के कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट अरुण व्यास, राजेश सिंघवी, हिम्मत सेठ, याकूब मोहम्मद, रक्षित परमार आदि वक्ताओं ने धरने को संबोधित करते हुए कथित हिंदू धर्म के ठेकेदारों द्वारा जातिवाद के जहर के खिलाफ, छुआछूत को मिटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाने और मात्र वोट बैंक की राजनीति करने की आलोचना की। उन्होंने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सिद्धांतों की पालना करते हुए, जाति धर्म संप्रदाय के भेदभाव को मिटाकर संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने को, सामंती दृष्टिकोण को दफन कर नए भारत के निर्माण का आह्वान किया।
प्रतिनिधियों ने पीड़ित परिवार के सदस्यों के परिजनों से मिलकर घटना की जानकारी ली एवं श्रद्धांजलि अर्पित की। वक्ताओं ने सक्षम वर्गों द्वारा टोना टोटका को इस घटना का आधार बना कर समाज में भ्रांति फैलाने की भी आलोचना की, जबकि वास्तव में आर्थिक समानता के लिए दुकान लगाने से क्षुब्ध होकर यह हत्याकांड किया गया है। प्रतिनिधि मंडल ने यह निर्णय किया कि तात्कालिक मुद्दे के निस्तारण उपरांत मौके पर जाकर घटना की पूरी जानकारी एवं तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाकर जारी की जाएगी। 29 जुलाई को उदयपुर में जो बंद का आह्वान किया गया उसको भी समर्थन दिया।