जाति ही सब कुछ है,जाति नहीं तो कुछ भी नहीं हैं। जाति एक भरोसे का नाम है ,जाति ही विश्वास है,जाति ही उम्मीद है,जाति ही आस है, जाति धड़कन है,रक्त है,श्वांस है ।
जाति के निजी सचिव,जाति के गनमैन ,जाति के ही ओएसडी, जाति के ही पीए, सब कुछ अपनी ही जाति का हो,तभी राज का आनंद आ पाता है।
यह रुग्णता किसी एक समुदाय,पार्टी या पर्टिकुलर शासन की नहीं है,यह तत्व हर सत्ता में प्रमुखता से मौजूद रहता है ।
जाति सर्वशक्तिमान है,असली आलाकमान है,वह शाश्वत है,जन्म से पहले आती है ,जिंदगी भर साथ निभाती है,मरने के बाद भी नहीं जाती है ।
जाति कभी नहीं जाति ।
हे अजर,अमर,अक्षय ,अनंत जाति व्यवस्था तेरी जय हो ,तू बनी रह ,हम मिट जाते हैं ।
-भंवर मेघवंशी
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और जानेमाने दलित चिंतक हैं )