रघु शर्मा ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को देते हुए कहा कि, मुख्यमंत्री स्तर पर की गई माइक्रो प्लानिंग और प्रदेशवासियों की सजगता और सावधानी से आज हम इस महामारी को रोकने में काफी हद तक कामयाब हुए हैं।

राजस्थान

कोरोना जंग : क्या है माइक्रो प्लानिंग तकनीक जिसकी मदद से पूरे देश में नंबर वन पर गहलोत

By अवधेश पारीक

June 03, 2020

प्रदेश में कोरोना काल की शुरूआत के बाद से ही देश के तमाम राज्यों के मुकाबले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नीतियों को जनता ने काफी सराहा है। खुद पीएम मोदी ने गहलोत की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं। इसी बीच राजस्थान सरकार के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा देश के 10 राज्यों का कोरोना लड़ाई को लेकर तुलनात्मक अध्ययन किया गया है जिसमें राजस्थान हर इंडेक्स में अव्वल पाया गया है।

सूबे के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को देते हुए कहा कि,

मुख्यमंत्री स्तर पर की गई माइक्रो प्लानिंग और प्रदेशवासियों की सजगता और सावधानी से आज हम इस महामारी को रोकने में काफी हद तक कामयाब हुए हैं।

इसके आगे शर्मा बताते हैं कि, प्रदेश में कोराना एक्टिव मामले, रिकवर मामले, मृत्यु दर में कमी सहित कोरोना की रोकथाम के सभी क्षेत्रों में आज राजस्थान देशभर में नंबर वन पर है।

टेस्ट को लेकर चिकित्सा मंत्री ने बताया कि देशभर में अब तक 35 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं जिनमें अकेले राजस्थान से 4 लाख टेस्ट हुए हैं। जयपुर के सवाईमानसिंह अस्पताल में 1 लाख 10 हजार से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं।

वहीं प्रदेश में अब 18 दिनों में संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो रही है जबकि देश में यह नंबर 12 दिन का है। इसके अलावा प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की मृत्युदर 2.16 है, जो कि राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे है।

गहलोत का विजन कारगर रहा : रघु शर्मा

रघु शर्मा इस पूरे अभियान की तारीफ करते हुए कहते हैं कि यह मुख्यमंत्री गहलोत का ही विजन था जिसके तहत कारोना महामारी के शुरूआती दिनों में जहां प्रदेश में जीरो टेस्टिंग थी वहां आज 18 हजार 250 टेस्ट हर रोज हो रहे हैं। हमारा टारगेट है कि हम आने वाले दिनों में रोज 25 हजार टेस्ट करें।

अन्य मरीजों की समस्याओं पर बोलते हुए शर्मा कहते हैं कि कोरोना के अलावा अन्य मरीजों के लिए चिकित्सा विभाग ने पहले जयपुरिया अस्पताल को कोरोना फ्री घोषित किया अब एक जून से एसएमएस अस्पताल को कोरोना फ्री घोषित कर दिया गया है, जहां अन्य सेवाएं जल्द ही शुरू की जा सकेंगी।

क्या है माइक्रो प्लानिंग ?

कोविड-19 को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी दस्तावेज के मुताबिक माइक्रो प्लानिंग में रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) उन मामलों /कॉनटेक्ट ट्रेसिंग के आधार पर क्षेत्रों की पहचान करेगी। किसी मामले में लिस्टिंग या मैपिंग में 24 घंटे से अधिक समय लगता है, तो आरआरटी ​​कोविड-19 पॉजिटिव रोगी के रहने के क्षेत्र के आसपास 3 किमी के दायरे के क्षेत्र को कंटेन्मेंट जोन बना देगी।

इस क्षेत्र को 50 घरों (दुर्गम एरिया में में 30 घरों) वाले क्षेत्रों में बांटा जाएगा। आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से, इन क्षेत्रों में वो सभी गतिविधियां चालू रहेंगी जो आईसीएमआर द्वारा कोविड-19 के लिए बताई गई हैं।

आशा कार्यकर्ताओं को बीमारी की रोकथाम और होम क्वारंटीन के बारे में समुदायों में निगरानी और जागरूकता फैलाने के अलावा, संदिग्ध मामलों की ट्रैकिंग, पुष्टि और संदिग्ध मामलों के संपर्कों की पहचान, संदिग्ध/पुष्टि मामलों और संपर्कों की सूची बनाए रखना होता है। स्वास्थ्य पर्यवेक्षक इन कामों की निगरानी करेंगे और जरूरी आदेश देंगे।

वहीं अगर हम आंकड़ों को देखें तो प्रदेश के 33 जिलों में कोरोना पांव पसार चुका है जहां सबसे ज्यादा 2069 मामले जयपुर से सामने आए हैं तो वहीं अजमेर में 350, अलवर में 69, बांसवाड़ा में 85, बांरा में 42, बाड़मेर में 102, भरतपुर में 367, भीलवाड़ा में 153, बीकानेर में 108, बूंदी में 2, चित्तौडगढ़ में 179, चूरू में 115, दौसा में 59, धौलपुर में 62, डूंगरपुर में 368, गंगानगर में 6, हनुमानगढ़ में 30, जैसलमेर में 74, जालौर में 162, झालावाड़ में 292, झुंझुनूं में 141, जोधपुर में 1606, करौली में 17, कोटा में 490, नागौर में 456, पाली में 530, प्रतापगढ़ में 14, राजसमंद में 142, सीकर में 224, सिरोही में 176, टोंक में 166, उदयपुर में 566, बीएसएफ के दिल्ली से जोधपुर में आए 50 जवान संक्रमित पाए गए हैं।