झुलसा देने वाली गर्मी और उमस के बाद फुहारों की ठंडी हवा किसको नही भाती? धूली-धूली दोपहर खिल उठी है, बारिश मे नहाये पेड़ हवाओ के साथ झूम रहे है,, ये बारिश का सुहाना मौसम है ही ऐसा हज़ारो गम और फ़िक़्र को दूर करने वाला और प्रकृति को एक नए ऐनक से देखने का,, रिमझिम टिप-टिप बूँदो की मधुर आवाज़ से प्यारा संगीत और कौनसा हो सकता है भला! दूधिया रंग ओढ़े ये आसमाँ और उससे गिरती बूँदे गर्म सुलगती ज़मी मे ठण्डी हरयाली की चादर बिछा देती है,परिन्दे पर फैलाये अपनी ख़ुशी का नृत्य दिखाते है फिर झरनो की आवारगी और नदियो की रवानगी सब अलग ही मस्त हुए इस मौसम का मज़ा लेते है।उम्मीदों की रोशनी से नहाया समां हमे बेफिक्र बना देता है।अगर किसी इन्सान को इस सुहाने मौसम में ख़ुशी महसूस न हो इसका मतलब वो जिंदगी जी नहीं रहा बल्कि ढो रहा है।
–खान शाहीन
सीकर,राजस्थान