युवा क़लम

बस कुछ रोज़ की बात है !

By khan iqbal

March 27, 2020

टप-टप गिर रहा था आज बूंदों के रूप में जो आसमाँ से,

आज इन बूंदों में वो पहले सा सुकूँ कहाँ है?

आज वो बच्चे कहाँ है जो इस पानी को एक-दूसरे पर उछालते थे?

वो गलियों से बच्चो की हँसी की आवाज़े क्यों नही गूंज रही ?

मेरा शहर सूना क्यों पड़ा है?

मेरी सहेलिया आज बारिश की शाम घर चाय पीने नही आई है।

हम सब कैद है,

एक दूसरे से दूर,

घरों में दुबके हुए,

खुद को बचाते हुए,

अपनो से दूर,

कभी सोचा था यूँ होगा?

नही?

लेकिन हाँ बस कुछ रोज़ की बात है

हम सब फिर बाहर होंगे

वही बारिश का मज़ा होगा

शाम में बुजुर्ग बाहर गली में मिल जाया करेंगे

हम एक दूसरे के घर मस्ती करने फिर जाएंगे

बस कुछ रोज़ की बात है

हम फिर स्वस्थ भारत मे घूमने लगेंगे

खान शाहीन