अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विश्व की श्रेष्ठ विद्रोहिणी वीरांगना फूलन देवी को नमन।
अमित कुमार
“इतने बुरे बुरे अत्याचार मेरे साथ हुए तो हम क्यों मर जाए? जिन्होंने मेरे साथ अत्याचार किया हम क्यों ना उन्हें बता दे अगर तुम किसी के साथ ऐसा करोगे तो तुम्हें भी जवाब मिलेगा।मैं कोई अपराधी नहीं हु,मैंने तो अपने ऊपर हुए जुर्म का प्रतिकार किया है”-फूलन देवी।
विद्रोह की अभूतपूर्व प्रतीक ग़रीब और वंचित तबके से आनेवाली फूलन देवी जिसने सामंतो के वर्चस्व को चुनौती देते हुए अपने ऊपर हुए जुर्म के ख़िलाफ़ बंदूक़ उठा ली।
1984 में आत्मसमर्पण के बाद 11 साल जेल में रहने के बाद 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के प्रयास से पेरोल पर रिहा हुई।
मंडल आयोग के लागू होने के बाद पिछड़ो के सत्ताधिकार का प्रश्न अधिक मुखर होकर सामने आने लगा, मंडल आंदोलन के नेता लालू यादव और रामविलास पासवान के साथ राजनितिक सभाओं में शिरकत करने लगी।ख़ुद उन्होंने एकलव्य सेना बनायी थी,1996 में मिर्ज़ापर से समाजवादी पार्टी की टिकट पर लोकसभा पहुँची।
एक परिपक्व राजनीतिज्ञ की तरह एक मीडिया साक्षात्कार में भाजपा और आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा था-
भाजपा का मिशन है आरएसएस,आरएसएस का मतलब है दंगा फैलाना,ग़रीब लोगों को मारना पिटना उनका शोषण करना,किसी भी तरह सत्ता में आना,इसके ख़िलाफ़ हमारी जो पीड़ित जनता और राजनीतिक दल उसको इकट्ठा होना होगा एकजुट होकर हम उनका मुक़ाबला कर पाएँगे,नहीं तो हम नहीं कर पाएँगे।
साम्प्रदायिक राजनीति के सख़्त ख़िलाफ़ थी, सीमा नाम की एक ग़रीब मुस्लिम बच्ची को गोद लिया था,वो कहती है अगर मुझे भी बचपन में सहारा दिया होता तो मैं उस रास्ते पर नहीं जाती।
पूरी दुनिया ने फूलन देवी के संघर्षों को सलाम किया, मशहूर टाइम मैगज़ीन ने विश्व की 16 विद्रोही महिलाओं में चौथे पायदान पर जगह दिया है, फूलन देवी के साथ जो अत्याचार हुए है, इतिहास कभी माफ़ नहीं करेगा, आज वो उन करोड़ो वंचित ग़रीब मज़दूर शोषित पीड़ित महिलाओं की प्रतीक है, फूलन देवी के संघर्षों को बार बार सलाम।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें नमन। अमित कुमार (JNU)