जनमानस विशेष

भीलवाड़ा में मुस्लिम परिवार ने हिंदू बहन को भरा मायरा, पेश की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल

By Raheem Khan

March 07, 2025

भीलवाड़ा शहर के उपनगर पुर में नीलगर समाज के एक मुस्लिम परिवार ने हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश की। मुस्लिम भाई असगर अली नीलगर ने अपनी हिंदू बहन सुनीता का मायरा भरा।

इस दौरान, हिंदू बहन को 300 ग्राम चांदी की पायल, 21,000 रुपये नकद और एक सोने की अंगूठी भेंट की गई। बहन के पति जीजा गजानंद को असगर अली की ओर से एक पाव चांदी का ब्रेसलेट और 11,000 रुपये नकद दिए गए। मायरा उपनगर पुर से हिंदू बहन सुनीता के घर जवाहर नगर ले जाया गया।

मायरे में मंजूर मोहम्मद डायर, एडवोकेट फारूक अहमद डायर, एडवोकेट मोहम्मद उमर, मोहम्मद नवाज, जान मोहम्मद, गुलजार अहमद, रफीक मोहम्मद, लतीफ नीलगर, डालचंद गाडरी और अन्य समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

“मायरा” एक पारंपरिक रीति-रिवाज है जो मुख्य रूप से राजस्थान और भारत के कुछ अन्य हिस्सों में प्रचलित है। इसे “भात भरना” के नाम से भी जाना जाता है।

यह रस्म आमतौर पर बहन या बेटी के विवाह या किसी महत्वपूर्ण अवसर पर निभाई जाती है। इसमें, मामा या ननिहाल पक्ष के लोग अपनी भांजी या नातिन के परिवार को उपहार, जैसे कि गहने, कपड़े, नकद, और अन्य सामान, भेंट करते हैं। यह रस्म परिवार के बीच प्यार, सम्मान, और समर्थन का प्रतीक है। यह रस्म न केवल उपहारों का आदान-प्रदान है, बल्कि यह परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक तरीका भी है।

कई बार मायरा सामाजिक प्रतिष्ठा का भी प्रतीक बन जाता है। यह रस्म परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत करती है। यह बहन और उसके परिवार के प्रति मामा के स्नेह और समर्थन को दर्शाती है।यह सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा है।