इतिहास

मुग़लकाल में किस तरह मनाई जाती थी आज की होली, ईद-ए-गुलाबी

By khan iqbal

March 21, 2019

मुग़लकाल में होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी भी कहा जाता था। मुग़लिया हुकूमत में होली का पर्व ख़ूब ज़ोर-शोर के साथ मनाया जाता था, इस दिन के लिए विशेष रूप से दरबार सजाया जाता था। लाल किले में बड़ा जश्न होता था, रात भर नाच गाना होता था। देश के अलग-अलग हिस्सों से मशहूर कलाकारों का भी इस मौके पर आगमन होता था। कवि सम्मेलन होता था, मुशायरे का मंच सजता था।

इस मौके पर स्वांग करने वालों के झुंड शाहजहांबाद में जगह-जगह घूमते और दरबारियों और अमीरों के घरों में जाकर उनका मनोरंजन करते। रात को शहर मे महफिलें सजती थीं। क्या सामंत, क्या दरबारी और क्या कारोबारी, सभी इनमें जुटते और खूब जश्न मनाते थे। बादशाह अपनी रियाया के साथ इस जश्न में शामिल होते थे। मंत्रिमंडल के लोग सुबह सुबह बादशाह के साथ होली खेलते। बादशाह की तरफ से ख़ूब अशरफियाँ बांटी जाती थीं।

ये है मुग़लकाल का स्वर्णिम इतिहास। पढ़ो कभी फुर्सत मिले, आपको मुग़लकाल से बेहतर दौर भारतीय सभ्यता के अबतक के इतिहास में नहीं मिलेगा।

साथ ही साथ अफ़सोस कीजिए आजकी सियासत पर, जो धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र में होने के बावजूद ईद पर मुबारकबाद देने से कतराती है। अफ़सोस कीजिए उस राजनीति पर जब देश का मुखिया रमज़ान और दीपावली में विद्युत सप्लाई को लेकर समाज को बाँटने का प्रयास करते हैं। अफ़सोस कीजिए उस सियासत पर जो अल्पसंख्यकों की बात इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि उन्हें डर है कहीं बहुसंख्यक वर्ग न नाराज हो जाए, इस डर को खत्म कीजिए।

होली खेलिए, स्वस्थ रहिए मस्त रहिए। अनंत शुभकामनाएँ..!!

“गले में डाल दो बाहों का हार होली में उतारो एक बरस का ख़ुमार होली में”।

-माजिद मजाज़

(लेखक एक राजनीतिक विश्लेषक हैं, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में इनके लेख छपते रहते हैं)