-अशफ़ाक़ कायमखानी
क्या लोकसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा के दल राजस्थान मे कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे?
हालांकि राजस्थान मे संगठित तौर पर वैसे तो कोई तीसरा मोर्चा मजबूत स्थिति मे अभी तक वजूद मे नही आ पाया है। लेकिन प्रदेश के अलग अलग हिस्सों मे कांग्रेस व भाजपा के अलावा कुछ अन्य दल भी विधानसभा की कुछ सीट जीतकर आने के बाद अब खासतौर पर लोकसभा चुनावो मे कांग्रेस के वोट लेकर उसे नुकसान पहुंचा सकते है। राजस्थान की मोजुदा राजनीति मे कांग्रेस व भाजपा व उनके समर्थक निर्दलीय विधायकों के अलावा छ विधायकों वाली बसपा, तीन विधायकों वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, दो विधायकों वाली भारतीय ट्राईबल पार्टी व दो विधायकों वाली माकपा जैसे कुछ दल ऐसे है जो प्रदेश की अलग अलग लोकसभा क्षेत्रो से चुनाव लड़कर चाहे खुद जीत नही पाये लेकिन कांग्रेस को झटका जरुर दे सकते है।
माकपा ने सीकर, चूरु व बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से व भारतीय ट्राईबल पार्टी ने आरक्षित बांसवाड़ा व उदयपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान कर देने से यहां की राजनीति मे गर्माहट आ चुकी है।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नागौर सहित कुछ जाट बेल्ट की सीटो को टारगेट करके चुनाव लड़ने की उम्मीद लगाई जा रही है।
इसी तरह बसपा अलवर ,भरतपुर, झूंझुनू व चूरु सहित कुछ सीटो पर मजबूत उम्मीदवार मैदान मे उतार कर संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने की चेष्टा कर सकती है।
माकपा के सीकर से पूर्व विधायक अमरा राम, नागौर से रालोपा विधायक हनुमान बेनीवाल व अलवर से बसपा के नगर विधायक वाजिब अली मजबूत उम्मीदवार साबित हो सकते है।
माकपा-बसपा व रालोपा सहित कुछ छोटे दलो के मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की बाते चर्चा मे जरुर चल रही है। वास्तव मे गठबंधन की यह चर्चा धरातल पर सही साबित होती है तो कांग्रेस को कुछ हद तक खतरे का सामना जरूर करना होगा।
कुल मिलाकर यह है कि हाल ही विधानसभा चुनाव मे केवल एक प्रतिशत मत भाजपा से अधिक लेकर बहुमत से एक सीट कम जीतकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस पार्टी के लिये कुछ माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव आसान नही माने जा रहे है। जबकि प्रदेश की कुल पच्चीस लोकसभा सीटो मे मिले मतो के आधार पर तेरह लोकसभा क्षेत्रो पर आगे रहने वाली भाजपा अब संघ की पूरी सक्रियता के बल पर हारी हुई बाजी को जीत मे बदलने की हर स्तर पर कोशिश करेगी। वही कांग्रेस के लिए उक्त दल वोट काटू साबित होकर जीती हुई बाजी को हार मे बदल सकते है।