लॉकडाउन 3 की घोषणा के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में शराब है क्योंकि केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों के साथ शराब के कारोबार को पूरे 41 दिनों बाद फिर से खोलने के आदेश दिए हैं। सोशल मीडिया पर लोग शराब की बिक्री को लेकर कई मीम शेयर कर रहे हैं जिनमें कुछ शराबियों की तारीफ कर रहे हैं तो कई का मानना है कि राज्यों की अर्थव्यवस्था भी शराब के भरोसे चल रही है, लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है, आइए जानते हैं कि राज्य शराब की बिक्री से असल में कितनी कमाई करते हैं।
हालांकि सरकार के आदेश के पहले से ही शराब को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई थी, इंडस्ट्री की तरफ से दबाव के अलावा हरियाणा सरकार और राजस्थान सरकार के कई विधायक भी शराब की बिक्री शुरू करने की पैरवी कर चुके थे।
सबसे पहले आप ये जानिए एक राज्य कमाई कैसे करता है ?
दरअसल, किसी भी राज्य की कमाई के कुछ मुख्य स्त्रोत होते हैं जिनमें राज्य जीएसटी, जमीनों पर सरकारी टैक्स, पेट्रोल-डीजल का वैट या सेल्स टैक्स, शराब की एक्साइज ड्यूटी या आबकारी शुल्क। फिलहाल हम आगे शराब पर लगने वाले आबकारी शुल्क के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
राज्य सरकारें लगाती हैं शराब पर भारी टैक्स
शराब और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन इनसे कमाई के लिए हर राज्य सरकार अपने कानून के मुताबिक भारी टैक्स लगाती है जिनसे सरकार को राजस्व मिलता है।
राज्यों के राजस्व में शराब और पेट्रोल-डीजल की बिक्री काफी अहम रोल निभाती है। आपको बता दें कि शराब की बिक्री से वित्त वर्ष 2019-20 में राजस्थान सरकार ने 7,800 करोड़ रुपये कमाए हैं।
इसके अलावा ज्यादातर राज्यों के कुल राजस्व का 15 से 30 फीसदी हिस्सा शराब से निकल जाता है। वहीं अगर हम सभी राज्यों की बात करें तो पिछले वित्त वर्षों में सभी ने करीब 2.5 लाख करोड़ शराब बेचकर कमाए हैं।
राजस्थान सरकार ने शराब पर बढ़ाया एक्साइज टैक्स
कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने के बाद देशभर में लॉकडाउन लागू है और अर्थव्यवस्था ठप हैं ऐसे में राजस्थान की गहलोत सरकार ने हाल में शराब पर एक्साइज टैक्स को 10 फीसदी बढ़ाने के आदेश भी जारी किए हैं। इसके बाद अब राज्य में बिकने वाली देश में बनी विदेशी शराब (IMFL) पर टैक्स 35 से 45 फीसदी, बीयर पर टैक्स बढ़कर 45 फीसदी लगेगा। सीधे शब्दों में देखें तो मान लीजिए बीयर की एक 100 रुपये की बोतल पर ग्राहक 45 रुपये सरकार के गल्ले में डालता है।