पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान इलाकों में वन्य जीवों के लिए बिश्नोई समाज की एकजुटता और अडिग खड़े रहने की अनेकों कहानियां और जोशीले किस्से इतिहास में दर्ज हैं, अपने आराध्य गुरु जम्भेश्वर के बताए 29 नियमों का पालन करने वाले समाज ने कोरोना काल में एक बार फिर एकजुटता दिखाते हुए सूबे के हुक्मरान पर त्वरित फैसला लेने का दबाव बनाया।
23 मई को जब चुरू जिले के राजगढ़ कस्बे में थानाअधिकारी विष्णु दत्त बिश्नोई ने अपने सरकारी आवास पर फांसी का फंदा लगा लिया तो रातोंरात सूबे के राजनीतिक हल्कों और पुलिस महकमे में गहमागहमी बढ़ गई। जहां लाचार और मुद्देविहीन पड़े विपक्ष को सड़क पर आने की एक छोटी खुराक मिली तो पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली और राजनीतिक दबाव के पुराने प्रपंचों पर चर्चा तेज हो गई।
हालांकि बीते करीब 2 हफ्तों की उठापटक के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने 5 जून को इस मामले में जांच सीबीआई से कराने के लिए डीओपीटी को चिट्ठी लिखकर अपनी सैद्धान्तिक मंजूरी दे दी। फिलहाल हर किसी को सीबीआई के फैसले का इंतजार है जब एजेंसी इस केस को टेक ओवर कर जांच शुरू करेगी।
बीते 2 हफ्ते में प्रदेश में चार सुसाइड और चार अन्य की जान देने की कोशिश
बिश्नोई प्रकरण पर हुए पूरे घटनाक्रम पर यदि हम पीछे मुड़कर देखेंगे तो पाएंगे कि इसके बाद करीब दो सप्ताह के दौरान ही राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में पुलिसर्मियों में सुसाइड के चार मामले और इसके अलावा अजमेर से एक सिपाही, सवाई माधोपुर से एक महिला कांस्टेबल और एक एसएसआई समेत 4 अन्य जान देने के मामले सामने आए लेकिन बिश्नोई आत्महत्या जैसा आउटरेज सोशल मीडिया से लेकर मुख्यमंत्री निवास के बाहर तक कहीं भी देखने को नहीं मिला और ना ही किसी विशेष जांच की मांग ने तूल पकड़ा ।
विपक्ष के आरोप और समाज की अडिगता
थानाधिकारी बिश्नोई के लिखे 2 सुसाइड नोट में किसी राजनीतिक दबाव का जिक्र होने के बाद विपक्ष से लेकर बसपा, आरएलपी के नेताओं ने जहां कांग्रेस की राजगढ़ विधायक कृष्णा पूनियां को घेरा वहीं गहलोत राज में पुलिसिया तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े किए।
वहीं बिश्नोई समाज के राजनैतिक एवं अन्य गणमान्य लोगों के अलावा आम नागरिकों की तरफ से भी आत्महत्या के अगले दिन से ही “सिर्फ एक मांग सीबीआई जांच” जैसी मांग उठने लगी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर तरह-तरह के हैशटैग के साथ लगातार हफ्ते भर तक सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश तेज की गई।
कुलदीप बिश्नोई और राजस्थान से बिश्नोई समाज के मंत्री, विधायक
SHO बिश्नोई की आत्महत्या के बाद से ही बिश्नोई महासभा के संरक्षक और हरियाणा के आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई सक्रिय रहे, घटनाक्रम के बाद कुलदीप बिश्नोई पहले थानाधिकारी के पैतृक गांव लूणेवाल जिला गंगानगर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाते हुए सीबीआई जांच का भरोसा दिलवाया।
बिश्नोई इस मामले में शुरू से ही समाज को प्राथमिकता में रखते हुए सीबीआई जांच के लिए मुखर रहे। वहीं इस मामले को लेकर 1 जून को विश्नोई समाज के प्रतिनिधि मंडल ने सीएम गहलोत से मुलाकात की जिसमें बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई, वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई, विधायक किसनाराम बिश्नोई, महेन्द्र बिश्नोई, पब्बाराम सहित विष्णुदत्त बिश्नोई के परिजन व अन्य शामिल थे।
आंदोलन की धमकी
बिश्नोई समाज के लोगों से मुलाकात के बाद सीएम गहलोत ने बिश्नोई आत्महत्या मामले में सीबीआई जांच का आश्वासन दिया लेकिन 4 जून तक इस पर कोई अधिकारिक घोषणा नहीं हुई।
इसके बाद 4 जून को कुलदीप बिश्नोई ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी देते हुए लिखा कि, “अगर शाम 5 बजे तक सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए गए तो समाज आंदोलन को मजबूर होगा”।
बिश्नोई समाज की महापंचायत ने भी बनाया दबाव
इसी बीच बीकानेर में बिश्नोई धर्मशाला में इंस्पेक्टर विष्णु दत्त बिश्नोई की मौत की जांच सीबीआई से कराने को लेकर एक सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित किया गया और आंदोलन का खाका तैयार किया गया। इस महापंचायत में नोखा विधायक बिहारी लाल बिश्नोई, श्रीडूंगरगढ़ विधायक गिरधारी लाल महिया, राजाराम धारणिया, सुरेंद्र सिंह शेखावत, डा. सुरेश बिश्नोई, महिपाल सारस्वत, अशोक भाटी मुख्य रूप से शामिल हुए।
आखिर में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीबीआई इस मामले को कब तक अपनी मंजूरी देती है क्योंकि राजस्थान की गत सरकारों का ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए इस बात की कम ही संभावना दिखाई देती है कि आने वाले कुछ ही दिनों में सीबीआई इस मामले को टेकओवर करेगी।
– अवधेश पारीक, जयपुर