जनमानस विशेष

ये बेसुध किस ओर दौड़ रहा है भारत का युवा

By khan iqbal

April 10, 2018

पिछले कुछ दिनों से देश मे एक संघर्ष जिसकी जड़ें धीरे-धीरे लोगो के जहन मे मजबूती के साथ बढ रही है वो है अारक्षण आरक्षण से वंचित धडा इसको खत्म करने और इसके हकदार इसे बचाने की कुवत मे अपनी पुरजोर कोशिश कर रहे है, वैसे इस आन्दोलन का पूरा दारोमदार सोशल मीडिया पर टिका है, यहीं से ये पूरा आन्दोलन प्रसारित हो रहा है, इस आन्दोलन की चपेट मे देश का युवा इस कदर आ चुका है कि जिन्होंने आज तक देश का संविधान नही पढा , इसके इतिहास के बारे मे कोई जानकारी नही है, जिन्हें ये तक नही पता की आरक्षण क्यो और किन परिस्थितियों मे दिया गया वो लोग भी संविधान और इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे है, क्योकि हर कोई अपनी-अपनी जाति के चश्मे से और फेसबुक या वॉट्सअप यूनिवर्सिटी से एकत्र किए ज्ञान के माध्यम से इसे अलग-अलग ढंग से परिभाषित कर रहे है इसी कशमकश मे भारत की आबादी का आधे से ज्यादा हिस्सा जो अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी मे आता है जिन्हें आरक्षण है भी और नही भी इस दुविधा मे है कि हमारा भला किस पाले मे है – आरक्षण के विरोध मे या समर्थन मे फिर भी सोशल मीडिया पर मिल रहे ज्ञान की बदोलत विरोधी और समर्थक दोनो जाने-अनजाने उस संविधान पर प्रश्न चिह्न लगा रहे है जिसमें कई विदेशी विद्धान भी मिलकर कोई कमीं न निकाल पाए फिर भी देश के युवा और समझदार अपनी समझदारी का झोला एक तरफ रखकर एक बार देश के संविधान और इसके ऐतिहासिक स्वरूप को समझने की कोशिश करे, हो सकता है कि आप अपने आप को फिजुल के फसाद से बचा ले क्योंकि संविधान के संरक्षण की जिम्मेदारी माननीय सर्वोच्च न्यायालय की है , और हमारा न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास होना आवश्यक है