कला

रणथंभौर दुर्ग:10 सदियों में भी पता नहीं लग सका इसे बनाया किसने था!

By khan iqbal

March 08, 2018

Rajesh Gurjar

राजस्थान -राजे रजवाडो का प्रदेश यह प्रदेश विभिन्न ऐतिहासिक दुर्ग, स्मारक,किलो,बावडियो और महलो के लिए प्रसिद्ध है!

आज हम बात करते है राजस्थान के एक ऐसे दुर्ग के बारे मे जो ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप से विशेष महत्व रखता है!

राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले मे स्थित 1000 वर्ष से आज भी अपनी उसी शान के साथ मजबूती से खडा है!वो है रणथंभौर दुर्ग!

इसके निर्माण को लेकर इतिहासकारो में मतभेद आज भी है ,कई इसे दैविय शक्ति द्वारा तो कई इसे चौहान राजा द्वारा बताते है!

लेकिन इस राजा के नाम का कही कोई उल्लेख नही मिलता है, खैर निर्माणकर्ता कोई भी हो लेकिन 10 सदियो पश्चात भी इसकी भव्यता और अनोखेपन के कारण यूनेस्को ने 2013 मे वर्ड हेरिटेज साइट मे स्थान दिया!

यह दुर्ग अरावली पर्वतमाला की 7 विषम घाटियो से घिरा हुआ अधिक ऊंचाई पर स्थित है इस कारण यह दूर से दिखाई नही देता है, इसी कारण प्रसिद्ध इतिहासकार अबुल फजल ने इसे बख्तरबंद कहा है!

आज इसी दुर्ग मे भारत का एकमात्र त्रिनेत्र गणेश मंदिर है जो लाखो क्ष्रद्धालुओ की आस्था का केन्द्र है यहां प्रतिवर्ष भाद्रपद क्रष्ण चतुर्थी को लक्खी मेला पूरे देश लोगो को अपनी और खींचता है! यह दुर्ग इतिहास मे भी अपना विशिष्ट महत्व रखता है राजस्थान के प्रथम साका (केसरिया +जौहर) का साक्षी बना! 1301 ई. मे सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी और रणथम्भोर नरेश हम्मीर देव चौहान के मध्य हुए युद्ध मे अपनी पराजय को निकट पाकर राजपूतो ने केसरिया और महिलाओं ने जौहर का अनुष्ठान किया कहते है कि हम्मीर की बेटी ने पारस पत्थर के साथ पद्मला तालाब मे अपनी ईहलिला समाप्त की!

1975 मे आपातकाल के समय इस दुर्ग मे भी खजाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा जी द्वारा सर्च अभियान चलाया गया था तब वहां के लोगो मे यह एक अफवाह काफी प्रसिद्ध रही जो आज मौजूदा लोगो के ज़हन में ज़िंदा है कि, इंदिरा जी ने पारस पत्थर के लिए इस दुर्ग और पद्मला तालाब की खुदाई करवाई! खैर मसला जो भी हो रणथम्भोर दुर्ग देशी और विदेशी सैलानियो के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है,

दुर्ग मे स्थित गणेश मंदिर, 7 मंजिला हम्मीर महल, पद्मला तालाब हम्मीर की कचहरी,शस्त्रागार,पीर सदरूद्दीन की दरगाह, जोगी महल,सुवारी महल,बादल महल,लक्ष्मीनारायण मंदिर इसके अलावा पहाडो की गोद मे बने इस दुर्ग को प्रकृति ने खूबसूरती से नवाजा है, दुर्ग के ऊपर से चारों ओर का नज़ारा आपको इससे मोहब्बत करने पर मजबूर कर देता है, यहां से प्रकृति की विहंगम छटा का दर्शन अलौकिक है इसी के साथ ही दुर्ग से सटे वन मे रणथम्भौर नेशनल पार्क भी है जिसमे विभिन्न प्रजाति के पशु -पक्षी पाए जाते है और यहां का विशेष आकर्षण टाइगर है!

राजस्थान के सांस्कृतिक धरोहर की ऐतिहासिक परम्परा को रणथंभौर दुर्ग आज भी सँजोये हुए है!इसकी अद्वितीय बनावट और विशाल प्राचीरें यहाँ देखने वालों को भाविभोर कर देती हैं!

आगे भी राजस्थान से जुडी रोचक जानकारी हेतु हमारे पेज जनमानस राजस्थान से जुडे रहे धन्यवाद