वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी काफ़ी सालों से राजस्थान पत्रिका में छत्तीसगढ़ में कार्य के रहे थे! उन्हें अचानक नौकरी से निकाल दिया गया है! इस पर तिवारी ने फ़ेसबुक पर एक लम्बा लेख लिखा है! जिसे ज्यों का त्यों आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा!
मेरे लिए खबरनवीसी केवल रोजी रोटी कमाने का जरिया कभी नही रही। खबर कवरेज करते वक्त मेरी आँखों की चमक बढ़ जाती है, मेरे चलने का बोलने का तरीका बदल जाता है।
मेरे लिए जर्नलिज्म मेरी पहली मोहब्बत है यह वो तरीका है जिससे मैं इस समाज से आप सबसे जुड़ता हूं , मुझे जानने वाले सभी लोग इस बात को जानते हैं।
कई अखबारों से होता हुआ मैं पिछले पांच वर्षों से राजस्थान पत्रिका में बतौर समाचार सम्पादक का काम कर रहा था लेकिन कल अचानक शाम को मेल मिला कि हम आपकी सेवा डिस्कन्टीन्यू कर रहे हैं।
मुझे इसका अंदाजा पहले से था लेकिन हम चाहते थे कि पहल उनकी ओर से हो। निस्संदेह ऐसा करने के पीछे मेरी कई विवशताएँ थी।
मोदी 2.0 और छत्तीसगढ़, एमपी एवम राजस्थान से भाजपा सरकार का जाना ऐसी घटना थी जिसने मीडिया को बहुत प्रभावित किया।
मोदी की अप्रत्याशित जीत से न केवल टीवी चैनल अभिभूत हो गए बल्कि अखबारों को भी केंद्र सरकार की जय जयकार करनी पड़ी। संपादकीय लिख दिया गया जन गण मन अधिनायक जय हो।
मैं जानता था कि केंद्र में मोदी का दोबारा आना नफरत की जीत है। लेकिन यह भी जानता था कि पत्रकारिता पहले जैसी नही रह जाएगी।
मुझसे उम्मीद की जाने लगी कि 15 वर्षों बाद सत्ता में लौटी ग्रामीणों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों की सरकार के खिलाफ तो लिखूं लेकिन मोदी सरकार के खिलाफ खामोश रहूं। लेकिन मुझे तो सब कुछ लिखना था।
पुलवामा हमले के बाद जो न्यूज रूम में माहौल था वो बेहद डरावना होता जा रहा था, हमसे कहा गया कि सरकार के खिलाफ लिखना मतलब मतलब सेना के खिलाफ लिखना,मतलब राष्ट्रद्रोह।
फिर 11 महीने पहले एक रोज मुझसे कहा गया अब आप खबरे नही लिखेंगे। हमने पूछा क्यों ? तो मुझे कोई जवाब नही मिला। मुझे लगा मेरा सब कुछ खत्म हो गया। हमने फिर सोशल मीडिया पर लिखना शुरू किया। खबरें कैसे भी आप तक पहुंचानी थी।
लॉकडाउन के वक्त समझ मे आ गया था हालात और बुरे होंगे। जानबूझ कर तब्लीगी जमात के बहाने मुसलमानों को अपराधी बनाया जा रहा था ,हमने कहा यह ठीक नही है तो कहा गया खामोश रहें।हमने कहा देश के मजदूरों की कहानी लिखी जाएं, अस्पतालों के हालात लिखे जाएं, दवाएं और पीपीई किट की अनुपलब्धता के बारे में लिखा जाए तो पता चला कि आदरणीय मोदी जी ने संपादकों के साथ बैठक कर ली है।
हम कुछ नही कर सकते थे, कुछ नही लिख सकते थे। मेरे पास रोज कई साथियों के फोन आते रहे कि मेरी नौकरी अचानक चली गई, मुझे ठेके पर काम करने को कहा जा रहा, कोई कहता भईया मैं सुसाइड कर लूंगा, कोई कहता घर कैसे बताऊंगा? मैं किसी की मदद नही कर पाया। फिर कल मुझे सीधे तात्कालिक प्रभाव से सेवा समाप्ति का पत्र थमा दिया गया।
मैं हारा नही हूँ मैं हारूँगा भी नही आज मैं अभिभूत हूं कि आप सब कितना प्यार करते हैं मुझको। कितनी बड़ी ताकत हैं आप सब मेरे लिए आपको अंदाजा नही है।
यात्रा में हूं, खबरों के पीछे पीछे हूं। चार महीने से अपने छोटे बच्चे का चेहरा नही देखा, उसे देखकर दो तीन दिन में वापस आता हूँ। अब लड़ाई केवल मोदी से नही मीडिया में छिपे सैकड़ो मोदियों से भी होगी। ताल ठोंक कर होगी। आप सब साथ रहिएगा।