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अपने घोषणा पत्र में मुसलमानों को 10% आरक्षण देने का एलान करें राजनैतिक दल: SIO

By janamanas

February 06, 2019

सभी राजनीतिक दलों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में मुसलमानों के लिए १०% व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए ५% आरक्षण को शामिल करना सुनिश्चित करना चाहिए : एस आई ओ

नई दिल्ली : भारत दुनिया का सबसे विशाल लोकतंत्र है, जो अपने लोगों को उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से उनके मुद्दों और चुनौतियों को हल करने का अवसर प्रदान करता है, जो कि सदन में उनका प्रतिनिधित्व करेंगे और मांगों पर सर्वसम्मति बनाएंगे। चुनावी घोषणा पत्र संभावित प्रतिनिधियों तक लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पहुंचाने का एक साधन है। भारत के छात्रों और युवाओं की ओर से, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एस आई ओ) सभी राजनीतिक दलों के सामने एक “स्टूडेंट्स मेनिफेस्टो” पेश कर रही है, ताकि वे अपने संबंधित घोषणा पत्र और एजेंडे में छात्रों और युवाओं की मांगों को शामिल कर सकें। घोषणा पत्र में रखी गई सिफारिशों और मांगों को तीन श्रेणियों, क्रमशः शिक्षा सम्बन्धी मांगें, युवा वर्ग सम्बन्धी मांगें और मानवाधिकार के मुद्दे में विभाजित किया गया है।

शिक्षा :

घोषणा पत्र के शिक्षा सम्बन्धी भाग में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के ख़राब कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तीखी आलोचना की गई है और उसमें सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप और राजीव गांधी नेशनल फ़ेलोशिप के स्टाइपेंड को बढ़ाने के साथ-साथ पात्रता के लिए नेट की आवश्यकता को वापस लेने की विशिष्ट मांगें हैं। घोषणा पत्र में सच्चर समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग भी की गई है। इन मांगों के अलावा इसमें छात्रवृत्ति योजनाओं में सुधार और छात्रों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए सिफारिशें भी हैं।

मांगें:

रोहित अधिनियम बनाया जाए | अल्पसंख्यक केंद्रित ज़िलों में एएमयू ऑफ कैंपस सेंटर्स स्थापित किए जाएं | बच्चों पर उनकी विशेष आवश्यकताओं के साथ अतिरिक्त ध्यान दिया जाए | अरबी और इस्लामिक स्टडीज़ विभाग सभी विश्वविद्यालयों में खोले जाएं | सभी विश्वविद्यालयों में अरबी और इस्लामिक स्टडीज़ में कम से कम स्नातक कोर्स शुरू किए जाएं | आरटीई अधिनियम (2009) को पूरी तरह से लागू किया जाए | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया का अल्पसंख्यक दर्जा बनाए रखा जाए।

युवा :

घोषणा पत्र के युवा वर्ग सम्बन्धी भाग में बेरोज़गारी की निरंतर बढ़ रही दर का हवाला देते हुए, समावेशी उद्यमिता योजनाओं और कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए सिफारिशें की गई हैं। इसमें सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को भी चिह्नित किया गया है और समयबद्ध और पारदर्शी चयन प्रक्रियाओं को लागू करने की मांग की गई है।

मांगें – सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में सभी रिक्तियों को तुरन्त भरा जाए | सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों के लिए चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए | रंगनाथ मिश्रा आयोग के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की सेवाओं में आरक्षण दिया जाए।

मानवाधिकार :

घोषणा पत्र में मानवाधिकार सम्बन्धी कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है और धार्मिक अल्पसंख्यकों और अन्य हाशिए के समुदायों के ख़िलाफ़सभी राजनीतिक दलों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में मुसलमानों के लिए १०% व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए ५% आरक्षण को शामिल करना सुनिश्चित करना चाहिए : एस आई ओ

नई दिल्ली : भारत दुनिया का सबसे विशाल लोकतंत्र है, जो अपने लोगों को उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से उनके मुद्दों और चुनौतियों को हल करने का अवसर प्रदान करता है, जो कि सदन में उनका प्रतिनिधित्व करेंगे और मांगों पर सर्वसम्मति बनाएंगे। चुनावी घोषणा पत्र संभावित प्रतिनिधियों तक लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पहुंचाने का एक साधन है। भारत के छात्रों और युवाओं की ओर से, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एस आई ओ) सभी राजनीतिक दलों के सामने एक “स्टूडेंट्स मेनिफेस्टो” पेश कर रही है, ताकि वे अपने संबंधित घोषणा पत्र और एजेंडे में छात्रों और युवाओं की मांगों को शामिल कर सकें। घोषणा पत्र में रखी गई सिफारिशों और मांगों को तीन श्रेणियों, क्रमशः शिक्षा सम्बन्धी मांगें, युवा वर्ग सम्बन्धी मांगें और मानवाधिकार के मुद्दे में विभाजित किया गया है।

शिक्षा :

घोषणा पत्र के शिक्षा सम्बन्धी भाग में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के ख़राब कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तीखी आलोचना की गई है और उसमें सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप और राजीव गांधी नेशनल फ़ेलोशिप के स्टाइपेंड को बढ़ाने के साथ-साथ पात्रता के लिए नेट की आवश्यकता को वापस लेने की विशिष्ट मांगें हैं। घोषणा पत्र में सच्चर समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग भी की गई है। इन मांगों के अलावा इसमें छात्रवृत्ति योजनाओं में सुधार और छात्रों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए सिफारिशें भी हैं।

घोषणा पत्र जारी करने के इस अवसर पर लबीद शाफ़ी (अध्यक्ष, एसआईओ), सैयद अज़हरूद्दीन (महासचिव, एसआईओ), फ़िरदौस अहमद (कैबिनेट सदस्य, छात्रसंघ एएमयू), रमीस ई के (जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली), सिफ़्वा (जेएनयू, दिल्ली), अनीस के (दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली) व अब्दुल कलाम (जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली) उपस्थित थे।