उन चेहरों का दीदार करे जमाना हो गया
लो चलो कि फिर से किसी ठण्डी शाम में महफिल लगाई जाए,
वो खट्टी मीठी नोंकझोंक और एक-दूसरे की टांग खिंचाई
तो मिलो की बीते खुशनुमा पलों की यादेें फिर ताजा की जाए,
लड़ने-झगड़ने का वो किस्सा पुराना हो गया
लो चलो किस्सों में छुपे प्रेम की अलख जगाई जाए,
वो बेफिक्र और बेबाक अन्दाज से लड़कपन की मस्ती
तो मिलो कि पल भर ही सही वो हसीन जिन्दगी फिर से जी जाए,
मौका मिला है फिर से जीने का
तो चले आओ कि चेहरा इन आंखों में पुराना हो गया
बहोत किया सुनना-सुनाना और रूठना-मनाना
किसने सोचा था ताउम्र मिलने को तरसेंगे
तो मिलो की उम्रभर की याद लिए फिर एक हसीं शाम सजाई जाए
–संगीता चौधरी