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मदरसे में कुरआन हिफ्ज़ फिर नीट 2025 में 97 परसेंटाइल, हाफिज़ सफ्फान की प्रेरक कहानी

By Raheem Khan

June 15, 2025

टोंक, राजस्थान: टोंक के ताज मंज़िल, राज टॉकीज रोड निवासी हाफिज़ सफ्फान दिल्लीवाला ने नीट 2025 परीक्षा में शानदार 97 परसेंटाइल हासिल कर अपने परिवार और पूरे शहर का मान बढ़ाया है। असमा खान और सरफराज़ दिल्लीवाला के बेटे सफ्फान अपने ननिहाल और ददिहाल के खानदान में पहले डॉक्टर बनने की राह पर हैं। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनकी मेहनत और लगन का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि धार्मिक और आधुनिक शिक्षा का संतुलन असाधारण परिणाम दे सकता है।

स्कूल से मदरसे तक का अनोखा सफर

हाफिज़ सफ्फान की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। उनके माता-पिता, असमा खान और सरफराज़ दिल्लीवाला, इस्लामी तालीम की महत्ता को गहराई से समझते थे। यही कारण था कि जब सफ्फान सातवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, तब उनके माता-पिता ने एक बड़ा फैसला लिया और उन्हें स्कूल से हटाकर कुरआन हिफ्ज़ (कुरआन को याद करने) के लिए मदरसे में दाखिल करवाया। अगले तीन साल तक सफ्फान ने मदरसे में रहकर पूरी लगन के साथ कुरआन को हिफ्ज़ किया। इस दौरान उनकी मां असमा ने घर पर उनकी स्कूली पढ़ाई को जारी रखा, ताकि वह स्कूल के पाठ्यक्रम से पूरी तरह दूर न हों।

तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद, जब सफ्फान ने कुरआन को पूरी तरह हिफ्ज़ कर लिया, तब उन्हें दोबारा स्कूल में दाखिला दिलाया गया। हालांकि, उन्हें एक साल पीछे की कक्षा में प्रवेश मिला, लेकिन इस देरी ने उनके इरादों को कमज़ोर नहीं किया।

कुरआन हिफ्ज़ ने बढ़ाई मानसिक क्षमता

हाफिज़ सफ्फान का कहना है कि स्कूली पढ़ाई में एक साल की देरी उनके लिए कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि कुरआन हिफ्ज़ ने उनके दिमाग को तेज और खुला बना दिया। उन्होंने कहा, “कुरआन हिफ्ज़ करने की प्रक्रिया ने मेरी याददाश्त और समझने की क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया। इसकी वजह से ही मैं नीट जैसी कठिन परीक्षा में इतने अच्छे अंकों के साथ कामयाब हो सका।” सफ्फान का मानना है कि कुरआन की तालीम ने उन्हें अनुशासन, धैर्य और एकाग्रता जैसे गुण दिए, जो उनकी सफलता का आधार बने।

माता-पिता का अटूट विश्वास और समर्थन

सफ्फान की मां असमा खान ने बताया कि स्कूल छुड़ाकर मदरसे में दाखिला दिलवाना एक जोखिम भरा और बड़ा फैसला था। लेकिन इस फैसले में उनके पति सरफराज़ दिल्लीवाला का हर कदम पर साथ मिलना उनकी सबसे बड़ी ताकत बना। असमा ने कहा, “हम चाहते थे कि सफ्फान को इस्लामी तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी मिले। यह संतुलन बनाना आसान नहीं था, लेकिन सरफराज़ के सहयोग और सफ्फान की मेहनत ने इसे संभव बनाया।”

पिता सरफराज़ दिल्लीवाला ने इस उपलब्धि का श्रेय सफ्फान की मेहनत के साथ-साथ उनके स्कूल, मदरसे और कोचिंग के शिक्षकों को दिया। उन्होंने कहा, “सफ्फान की इस कामयाबी के पीछे उनके शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है। हम सभी शिक्षकों के आभारी हैं, जिन्होंने सफ्फान को इस मुकाम तक पहुंचाया।”

दादा-दादी की उम्मीदें और प्रेरणा

सफ्फान के दादा सैफुद्दीन दिल्लीवाला और दादी रज़िया सैफ ने गर्व के साथ बताया कि सफ्फान उनके खानदान का पहला डॉक्टर बनेगा। उन्होंने कहा, “सफ्फान की इस उपलब्धि से परिवार के अन्य बच्चे भी प्रेरित होंगे। हमें उम्मीद है कि सफ्फान, जो एक हाफिज़ भी है, डॉक्टर बनने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा को अपना फर्ज समझेगा और उनकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहेगा।”

टोंक में खुशी का माहौल

हाफिज़ सफ्फान की इस शानदार उपलब्धि से पूरे टोंक में खुशी की लहर दौड़ गई है। सफ्फान टोंक के प्रतिष्ठित ताज परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वह मशहूर फोटोग्राफर श्री आहसन रशीद खान और समाज सेविका नजमा आहसन के नवासे, साथ ही समाज सेवक मोहसिन रशीद टोंक के भांजे हैं। उनकी इस कामयाबी ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समुदाय को गौरवान्वित किया है।

एक प्रेरणादायक मिसाल

हाफिज़ सफ्फान की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो धार्मिक और आधुनिक शिक्षा को एक साथ लेकर चलने का सपना देखते हैं। उनकी मेहनत, माता-पिता का समर्थन, शिक्षकों का मार्गदर्शन और परिवार का विश्वास इस बात का सबूत है कि सही दिशा और लगन के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। नीट 2025 में 97 परसेंटाइल हासिल कर हाफिज़ सफ्फान ने न केवल अपने सपनों को उड़ान दी, बल्कि अपने शहर और परिवार का नाम भी ऊंचा किया।

टोंकवासियों को भरोसा है कि हाफिज़ सफ्फान भविष्य में एक कुशल डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करेंगे और अपनी इस प्रेरणादायक यात्रा से दूसरों को भी प्रेरित करते रहेंगे।