जयपुर । अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर राजधानी में आयोजित एक परिचर्चा में मानवाधिकारों के बढ़ते उल्लंघन पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। “बढ़ते मानवाधिकार हनन के मामले और हमारी भूमिका” विषय पर आयोजित इस परिचर्चा में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
राजस्थान नागरिक मंच, एपीसीआर, राजस्थान एकल नारी महिला मंच और राजस्थान निर्माण मजदूर पंचायत के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश टी.सी. राहुल ने की।
अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार
पीयूसीएल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि दुनिया के अधिकांश देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन अन्यायों के खिलाफ संघर्ष करना प्रत्येक जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी है।
राजनीति में मानवाधिकारों की उपेक्षा
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमकिशन शर्मा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राजनीति में मानवाधिकारों पर चर्चा का अभाव लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं को मानवाधिकारों के संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाना चाहिए।
न्यायपालिका की उदासीनता
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के प्रदेश अध्यक्ष सैयद सादात अली ने मानवाधिकार हनन के बढ़ते मामलों और न्यायपालिका की उदासीनता पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए न्यायपालिका को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
संविधान के आदर्शों को अपनाने की अपील
कार्यक्रम के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश टी.सी. राहुल ने मानवाधिकार दिवस के इतिहास और भारतीय संविधान में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान के आदर्शों को जीवन में अपनाने की अपील की।
समाज की भूमिका महत्वपूर्ण
सामाजिक कार्यकर्ता हेमलता कसौटिया, जमाते इस्लामी हिंद राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नाजीमुद्दीन, अनिल यादव और एडवोकेट मुजाहिद नकवी ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समाज की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।मंच संचालन एपीसीआर के महासचिव मुज़म्मिल रिजवी ने किया, धन्यवाद ज्ञापन सुंदर सिंह राजू ने किया।
विद्यार्थियों और कार्यकर्ताओं की भागीदारी
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, श्रमिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस आयोजन ने मानवाधिकारों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने और उनकी सुरक्षा के लिए समाज की भूमिका को पुनः परिभाषित करने का कार्य किया।
यह परिचर्चा मानवाधिकारों के बढ़ते उल्लंघन पर एक चिंताजनक स्थिति को उजागर करती है। समाज के सभी वर्गों को मिलकर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रयास करने होंगे। सरकार, न्यायपालिका और नागरिक समाज को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा।