राजस्थान

कोटा के महाकर्फ्यू क्षेत्र में हालात ख़राब, स्थानीय निवासियों को भुखमरी का सता रहा डर !

By khan iqbal

April 19, 2020

शिक्षा नगरी कोटा में कोरोना तेजी़ से अपने पैर पसारता जा रहा है । खा़स तौर से सघन आबादी क्षैत्रों घंटाघर, मक़बरा, चंद्रघटा, भीमगंजमंडी में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है ।

कोटा में अब तक 95 व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाए गए हैं और ये आंकडे़ बढ़ते ही जा रहे हैं । ऐसे में प्रशासन की ओर से कोरोना की रोकथाम के लिए सख्ती की जा रही है ।

जिला प्रशासन ने कोरोना की रोकथाम के लिए सख़्त क़दम उठाते हुए कोरोना संक्रमित क्षैत्रों भीमगंजमंडी और मक़बरा में दिनांक 6 अप्रेल ही से कर्फ्यू लगा रखा है! मुख्य रूप से सघन आबादी क्षैत्र मक़बरा, घंटाघर, चंद्रघटा आदि में महाकर्फ्यू लागू है!

परंतु कोरोना की रोकथाम के साथ इन इलाकों में खाद्य सामग्री, दवाइयों, दूध, सब्जि़यों और अन्य अत्यावश्यक सामग्री की आपूर्ति भी एक समस्या बनी हुई है ।

इन सघन आबादी वाले क्षैत्रों में अधिकतर मज़दूर और ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन गुजा़रने वाले 20 हजा़र से अधिक लोग निवास करते हैं । पहले लाॅक डाउन, फिर कर्फ्यू और अब महाकर्फ्यू के कारण इनकी बची खुची जमा पूंजी भी समाप्त हो चुकी है । और अब इनके लिए राशन सामग्री का इंतजा़म करना दुश्वार हो रहा है ।

स्थानीय निवासी और वेलफेयर पार्टी आॅफ़ इंडिया के महासचिव मुहम्मद खा़लिद का कहना है कि,” इन परिस्थितियों में प्रशासन की ओर से जो राहत कार्य किए जा रहे हैं वे नाकाफी़ हैं । उन्होंने कहा कि जो राशन सामग्री प्रशासन द्वारा बिकवाई जा रही है वह महाकर्फ्यूग्रस्त क्षैत्रों के सील्ड होने की वजह से यहां तक पंहुच ही नहीं पा रही है!”

दूसरी ओर मक़बरा, चंद्रघटा, घंटाघर, लालबुर्ज, रामपुरा, बजाजखाना आदि क्षैत्रों में सैंकडो़ं ऐसे परिवार हैं जो रोज़ कमा कर पेट भरने वाले लोग हैं !

पिछले 25 दिनों से घर पर बैठे होने के कारण इनके पास यह राशन खरीदने के रुपए तक नहीं हैं । ऐसे में इन लोगों के लिए मुफ्त राशन की अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है ।

मुहम्मद खा़लिद का आरोप है कि,” प्रशासन ना तो इन क्षेत्रों में खुद मुफ्त राशन सामग्री मुहैय्या करा रहा है और ना ही उन्हें और अन्य सामाजिक संगठनों और भामशाहों को राहत कार्य करने की अनुमति दे रहा है । ऐसे में महाकर्फ्यूग्रस्त क्षेत्रों के निवासियों के लिए दो वक़्त के भोजन का इंतजा़म करना बहुत मुश्किल हो रहा है!”

उन्होंने कहा कि कोटा प्रशासन अगर इजाज़त दे तो उनकी टीम क्षेत्र में डोर टू डोर जा कर निःशुल्क भोजन सामग्री, दूध, सब्जियां और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित कर सकते हैं ।

महाकर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र और कोरोना एपिसेंटर के नज़दीक रहने वाले चंद्रघटा निवासी शाहिद कुरैशी का कहना है कि,”प्रशासन की ओर से इन क्षेत्रों मे किए जा रहे राहत कार्य ऊंट के मुंह में जीरा हैं । प्रशासन को कम से कम छोटे बच्चों के लिए दूध, राशन सामग्री और सब्जियों की व्यवस्था तो करना चाहिए अन्यथा कुछ दिनों में भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है जो और अधिक भयावह होगी ”

वहीं मक़बरा क्षेत्र के रहवासी और सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद आसिम का कहना है कि,” क्षेत्रवासियों के लिए कोरोना के साथ भूख से बचना भी एक चुनौती साबित हो रहा है , उनकी ओर से सैंकडो़ं की संख्या में राशन किट और खाने के पैकेट स्थानीय निवासियों को वितरित किए जा रहे थे जिसे प्रशासन ने रोक दिया है”!

उन्होंने कहा कि प्रशासन या तो खुद यह व्यवस्था करे या हमें अनुमति प्रदान करे ताकि क्षैत्रवासियों को राहत पंहुचाई जा सके ।

ऐसे में यही कहा जा सकता है कि कोटा में एक और जहां कोरोना से बचना एक समस्या है वहीं प्रशासन के लिए इन महाकर्फ्यूग्रस्त इलाकों में राशन, दूध, सब्जी और दवाइयों की व्यवस्था करना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है ।।