जयपुर के राजस्थान कॉलेज में छात्रों द्वारा कॉलेज परिसर में नमाज़ पढ़ने से रोकने का मामला सामने आया है जिसे लेकर मुस्लिम छात्रों में ख़ासी नाराज़गी है.
मामला 11 नवंबर का है जब स्नातक की परीक्षा से पहले कुछ छात्र राजस्थान कॉलेज में बने गार्डन के एक कोने में नमाज़ पढ़ रहे थे, तभी वहाँ मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें नमाज़ पढ़ने से रोक दिया जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया.
छात्रों का कहना है कि राजस्थान यूनिवर्सिटी परिसर में सात मन्दिर है लेकिन मुस्लिम छात्रों को नमाज़ पढ़ने के लिए कोई स्थान नहीं है. ऐसे में अगर कोई छात्र बिना किसी को बाधा पहुंचाए पार्क के कोने में नमाज़ पढ़ता है तो किसी को क्यों आपत्ति है.
नाराज़ छात्रों ने राजस्थान कॉलेज के वाइस प्रिन्सिपल आर.एन. शर्मा के ख़िलाफ़ राजथान युनिवर्सिटी के कुलपति को पत्र लिख कर उन पर कार्यवाही करने की माँग कि है.
कालेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने वाले छात्र का नाम सोहेल ख़ान है. सोहेल ने उसके साथ हुई घटना को साझा किया है.
सुहेल ने बताया कि, “मेरी स्नातक की परीक्षाएँ चल रही हैं, परीक्षा शुरू होने में समय था तो हम तीन-चार छात्र पार्क के एक कोने में नमाज़ पढ़ रहे थे तभी वहाँ गार्ड आया और उसने ये कहते हुए नमाज़ पढ़ने से मना कर दिया कि “ये कोई नमाज़ पढ़ने की जगह नहीं है, यहाँ नमाज़ मत पढ़ो” उसके बाद हम वहाँ से हट गए.”
छात्रों को नमाज़ पढ़ने से रोके जाने पर छात्र नेताओं ने आपत्ति जताई है और इसे भेदभाव क़रार दिया है.
राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र नेता इब्राहीम नागौरी ने इस सम्बंध में बात करते हुए कहा कि, “यह सरासर भेदभाव है, छात्र कैम्पस परिसर के पार्क के एक कोने में नमाज़ पढ़ रहे थे, वो किसी को डिस्टर्ब नहीं कर रहे थे, आख़िर इससे किसी को क्या तकलीफ़ हो सकती
इब्राहीम नागौरी ने कहा कि, “राजस्थान यूनिवर्सिटी परिसर में सात मन्दिर हैं, हमें इनसे कोई समस्या नहीं, लेकिन अन्य धर्मों के छात्रों के नमाज़ पढ़ने से समस्या क्यूँ है? शैक्षणिक संस्थाओं में हर छात्र लोकतांत्रिक तरीक़े से अपनी आस्थाओं का पालन करने के लिए स्वतन्त्र है.”
राजस्थान उच्च न्यायलय के अधिवक्ता और मानवाधिकार संस्था पीपल्ज़ यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़ (PUCL) के सदस्य अखिल चौधरी से हमने यह जानने का प्रयास किया कि इस तरह शान्तिपूर्वक किसी पार्क में नमाज़ पढ़ना क्या असंवैधानिक है?
चौधरी कहते हैं, “धार्मिक कर्म या कहीं शांतिपूर्वक नमाज़ पढ़ना तब तक ग़ैर क़ानूनी नहीं है जब तक कि उस धार्मिक क्रिया से क़ानून व्यवस्था बिगड़ने का ख़तरा न हो. मुझे नहीं लगता कि किसी के नमाज़ पढ़ने से कोई क़ानून व्यवस्था बिगड़ जाएगी.”
एडवोकेट अखिल चौधरी आगे कहते हैं, “भारत का संविधान फ़्रान्स और अन्य यूरोपीय देशों की तरह नहीं है जहाँ धार्मिक आज़ादी का उत्पीड़न किया जाता है, बल्कि भारत का संविधान धार्मिक स्वतन्त्रता को बढ़ावा देने वाले प्रावधान करता है”
उन्होंने यह भी कहा कि, “किसी को नमाज़ पढ़ने से रोकना यह बताता है कि समाज में कितनी सहिष्णुता बची है, सरकारी संस्थाओं में पदस्थापित कर्मचारी इस्लमोफोबिया से ग्रसित हों चुके हैं.”
छात्र नेता इब्राहीम नागौरी ने बताया कि, “हमने राजस्थान कॉलेज के वाइस प्रिन्सिपल आर.एन. शर्मा के ख़िलाफ़ कुलपति को पत्र लिख कर उन पर कार्यवाही करने की माँग कि है.”
पिछले कुछ सालों में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ पढ़ने को लेकर हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा विरोध के स्वर उठे हैं. पिछले दिनों हरियाणा के गुरुग्राम में शुक्रवार की नमाज़ पढ़ने का विरोध किया गया और नमाज़ पढ़ने के स्थान पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा द्वारा गोवर्धन पूजा की गई.