केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 31 जनवरी 2022 को एक आदेश जारी कर मलयालम भाषा के प्रमुख समाचार चैनल मीडिया वन टीवी का लाइसेंस रद्द कर प्रसारण पर रोक लगा दी गई है। चैनल को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा सितंबर 2011 में लाइसेंस दिया गया था जबकि इसकी शुरुआत 2013 में हुई थी। यह माध्यमम् ब्रॉडकास्ट लिमिटेड द्वारा चलाया जाता है। कई निवेशकों के साथ इसके मालिक मशहूर मलयालम फिल्म अभिनेता पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित मुहम्मद कुट्टी पनापरंबिल इस्माईल (माम्मूटी) है। मीडिया वन टीवी मलयालम भाषा के लोकप्रिय चैनलों में से एक है। इसका मुख्यालय कोझिकोड केरल में हैं।
एक बार पहले भी लग चुका है 2 दिन का प्रतिबन्ध
यह दूसरी दफा है जब मीडिया वन समाचार चैनल पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे पहले साल 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगे के बारे में खबर प्रसारित करने के कारण केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनिमियन) अधिनियम,1988 के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में केरल के ही एक और समाचार चैनल एशिया नेट के साथ मीडिया वन का भी प्रसारण 48 घंटे के लिए रोक दिया गया था हालांकि बड़ी संख्या में लोगों के विरोध दर्ज कराने के बाद 07 घंटे में ही प्रसारण रोकने का आदेश वापस लेना पड़ा था।
क्या है प्रतिबंध की असली वजह ?
सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय ने प्रसारण लाइसेंस को रद्द करने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। मंत्रालय के आदेश में केवल सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए लाइसेंस रद्द करने की बात कही गई है। मंत्रालय द्वारा बताया गया यह कारण बनावटी सा प्रतीत होता है। कई लोगों द्वारा यह भी कहा जा रहा कि चैनल पर प्रतिबंध की असल वजह भाजपा सरकार की मुस्लिम दुश्मनी है। क्यूंकि इस चैनल की प्रबंधन समिति के अधिकतर सदस्य मुस्लिम हैं और इस ब्रॉडकास्ट कंपनी में ज़्यादातर निवेशक भी मुस्लिम है इसलिए इसे निशाना बनाया जा रहा है।
मुख्य संपादक ने कहा “विश्वास है कि न्याय होगा।”
केंद्र सरकार से प्रसारण रद्द करने का आदेश मिलने के बाद चैनल के मुख्य संपादक प्रमोद रमन की ओर से निम्नलिखित बयान जारी किया गया है। “केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मीडिया वन के प्रसारण पर फिर से रोक लगा दी है। सरकार ने मीडिया वन को इसका अधिक विवरण उपलब्ध नहीं कराया है। मीडिया वन ने इसके विरुद्ध आवश्यक कानूनी कदम उठाए हैं। और उम्मीद है कि हम जितनी जल्दी हो सके दर्शकों के लिए वापस आएंगे। फिलहाल हम अपना प्रसारण स्थगित कर रहे हैं, विश्वास है कि न्याय होगा।”
चैनल ने किया न्यायालय का रुख
केंद्र सरकार द्वारा प्रसारण लाइसेंस रद्द होने के बाद चैनल ने केरल उच्च न्यायालय का रुख किया। केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे. नागरेश द्वारा एक अंतरिम आदेश पारित किया गया है, जिसने दो दिनों के लिए MediaoneTV के प्रसारण लाइसेंस को रद्द करने वाले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश पर रोक लगा दी है। जे नागरेश ने कहा कि “आप प्रसारण को बाधित नहीं कर सकते,”। कोर्ट बुधवार को मामले की सुनवाई फिर से शुरू करेगा।
प्रतिबंध के विरोध में उतरे कई बड़े नेता और संगठन
प्रतिबंध का आदेश आने के बाद से केरल के साथ ही देशभर से भी मीडिया वन टीवी के समर्थन में बयान जारी किए जा रहे हैं। केरला यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट ने भी बयान जारी कर केंद्र सरकार की इस कार्यवाही का विरोध किया। केरल के कई शहरों में वेलफेयर पार्टी ऑफ़ इंडिया और छात्र संगठन फ्रेटरनिटी मूवमेंट के सदस्यों ने इस प्रतिबन्ध को हटाने की मांग करते हुए रैली निकालकर प्रदर्शन किए। भाजपा के अलावा केरल के लगभग सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार के इस आदेश का विरोध किया गया है। लोकसभा सदस्य ई टी मुहम्मद बशीर, टी एन प्रथापन और केरल के मुख्यमंत्री सहित अलग अलग दलों के कई विधानसभा सदस्यों द्वारा भी प्रतिबंध के विरुद्ध बयान जारी किया गया है। केरल के कई सांसदों ने केन्द्रीय सूचना एवम प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से मिलकर भी इस फैसले का विरोध जताया है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बयान दिया कि “मीडिया वन चैनल के प्रसारण पर केंद्र सरकार का प्रतिबंध गंभीर मामला है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हिस्सा है”
अपने बयान में आगे उन्होंने ये भी कहा कि “लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों का कर्तव्य है कि वह यह सुनिश्चित करें कि अनुच्छेद 19 का उल्लंघन न हो”
अपनी नीतियों के कारण दूसरों से कुछ अलग है ये चैनल
मीडिया वन टीवी अपनी कुछ खास नीतियों के लिए जाना जाता है। चैनल पर कभी भी शराब का प्रचार नहीं दिखाया जाता है नाही इस पर कोई अश्लील प्रचार दिखाया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार मलयालम लैंग्वेज का तीसरा बड़ा चैनल होने के बाद भी यह घाटे में चल रहा है। इसकी प्रमुख नीति है ‘प्रचार कम,खबर ज़्यादा’ इसी पर अमल करते हुए चैनल पर कुल समय का सिर्फ दो प्रतिशत समय में ही प्रचार दिखाया जाता है। अपनी इन नीतियों के कारण ही यह घाटे में चल रहा है।
– शोएब अंसारी (मांगरोल,राजस्थान)