गौरतलब है कि फिरोज ने शास्त्री (ग्रेजुएशन), शिक्षा शास्त्री (बी.एड), आचार्य (पोस्ट ग्रेजुएशन) पूरी की और 2018 में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, जो कि एक डीम्ड विश्वविद्यालय है, जयपुर से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। खान ने NET और JRF भी क्लीयर किया हुआ है।

राजनीति

मैंने जिंदगी भर संस्कृत पढ़ी…लेकिन अब याद दिलाया जा रहा है कि ‘मैं मुस्लिम हूं’ – फिरोज खान

By अवधेश पारीक

November 20, 2019

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (एसवीडीवी) में 11 दिन पहले असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त होने वाले संस्कृत में डॉक्टरेट, राजस्थान के बगरू के रहने वाले फिरोज खान पिछले कुछ दिनों से मीडिया से दूर हैं, यहां तक कि उनका मोबाइल फोन को भी बंद है।

बीते सोमवार को, लगभग 20 एसवीडीवी छात्र कुलपति के घर के बाहर धरने पर बैठे और “हवन कुंड” लगाकर नियुक्ति का विरोध किया। खान की नियुक्ति के बाद से ही विरोध प्रदर्शन जारी है, केवल इस कारण से कि वह मुस्लिम हैं। आपको बता दें कि 7 नवंबर से इस विभाग में कोई क्लास नहीं है।

मीडिया से बात करते हुए खान परेशान होकर बताते हैं कि, “मैंने सारी जिंदगी संस्कृत सीखी अब जब मैं संस्कृत पढ़ाने के लिए तैयार हूं तो मुझे यह याद दिलाया जा रहा है कि मैं एक मुस्लिम हूं”।

गौरतलब है कि फिरोज ने शास्त्री (ग्रेजुएशन), शिक्षा शास्त्री (बी.एड), आचार्य (पोस्ट ग्रेजुएशन) पूरी की और 2018 में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, जो कि एक डीम्ड विश्वविद्यालय है, जयपुर से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। खान ने NET और JRF भी क्लीयर किया हुआ है।

आगे फिरोज बताते हैं कि “मैंने कक्षा 2 से ही संस्कृत सीखना शुरू कर दिया था, लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया, जबकि बगरू में मेरा मोहल्ला (जयपुर से 30 किमी) में 30 प्रतिशत मुस्लिम थे। न तो स्थानीय मौलवी और न ही समाज। वास्तव में, मैं उतना कुरान नहीं जानता जितना संस्कृत साहित्य जानता हूं। मेरे क्षेत्र के हिंदुओं ने मुझे मुस्लिम होने के बावजूद संस्कृत और इसके साहित्य के बारे में जानकारी होने पर मेरी प्रशंसा की। आपको बता दें कि फिरोज के पिता रमजान खान भी संस्कृत में ग्रेजुएट हैं।

एसवीडीवी के एक रिसर्च स्कॉलर कृष्ण कुमार, जो तीन अन्य साथी छात्रों के साथ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं, उनका मानना है कि अगर कोई व्यक्ति हमारी भावनाओं और संस्कृति से जुड़ा नहीं है, तो वह हमें और हमारे धर्म को कैसे समझ पाएगा।

विरोध करने वाले छात्रों का कहना है कि वो किसी भी राजनीतिक दल से नहीं है लेकिन बताया यह जा रहा है कि उनमें से कुछ एबीवीपी के तो कई केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के सदस्य भी हैं। वहीं बीएचयू प्रशासन एसवीडीवी छात्रों को यह समझाने में असमर्थ रहा है कि संस्कृत साहित्य पढ़ाने का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।

इसके अलावा फिरोज एक मुस्लिम होकर हिंदू धर्म को कैसे सिखा सकता है, का जवाब देते हुए खान कहते हैं, मैं कहना चाहता हूं कि साहित्य विभाग में हमें संस्कृत साहित्य की तकनीकी और अभिज्ञान शाकुंतलम, उत्तर रामचरितम जैसे प्रसिद्ध नाटकों की पढ़ाई करनी होती है। महाकवि जैसे रघुवंश महावाक्य या हर्षचरितम और इन सबका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।

कुछ अन्य विभागों के सदस्य और छात्र इस विरोध प्रदर्शन को अपमानजनक मानते हैं। बीएचयू के एक प्रोफेसर का कहना है कि, यह बदलता भारत है. जो भी सक्षम है उसे बीएचयू में पढ़ाने का अधिकार है। मुझे लगता है कि जो लोग इसका विरोध करते हैं, उन्हें कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, जयपुर के प्राचार्य और खान के पूर्व टीचर रहे अर्कनाथ चौधरी फिरोज को याद करते हुए कहते हैं कि वह एक अच्छे स्वभाव वाले, मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्ति हैं। चौधरी, जो श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, गुजरात के वेरावल के कुलपति भी रह चुके हैं, ने उन्हें ग्रेजुएशन के आखिरी साल में खान को पढ़ाया।

आखिर में बीएचयू में असिस्टेंट प्रोफेसर चुने गए खान का उत्साह अब उतरा हुआ है, उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि वो अब आगे क्या करेंगे। छात्रों को लेकर फिरोज कहते हैं कि, उनके दिल में जो कुछ भी है, मुझे उम्मीद है कि मैं इसे बदल सकता हूं।”