राजस्थान

बारां : CAA का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस कार्यवाही पक्षपातपूर्ण!

By khan iqbal

March 23, 2020

राजस्थान के बारां में 20 मार्च रात को CAA, NRC और NPR के विरोध में प्रदर्शन कर रहे मौलाना इम्तियाज़ को पुलिस ने धरना स्थल से जबरन उठा लिया। जब कुछ लोग मौलाना इम्तियाज़ को छुड़ाने के लिए थाने पहुंचें तब पहले तो पुलिस ने मानने से इंकार किया कि मौलाना को पुलिस ने उठाया है बाद में जो लोग छुड़ाने के लिए थाने पहुंचें थे उन लोगों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों ने बताया कि यह ख़बर सुनकर थाने के बाहर बड़ी तादाद में लोग जमा हो गए जिन्हें हटाने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। लोगों ने पुलिस पर पथराव भी किया जिसे रोकने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी।

पुलिस ने मौलाना इम्तियाज, ज़ियाउर्रहमान, हसीब अंसारी, शाहिद दुर्रानी, अज्जू , रहीम, आबिद सहित 18 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिन्हें अब जेल भेज दिया गया है। जिनमें से एक नाबालिग बताया जा रहा है।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

बारां शहर में हुऐ इस घटनाक्रम के लिये बारां पुलिस को ज़िम्मेदार बताते हुऐ अन्जुमन इत्तेहाद बाहमी के पदाधिकारियों ने प्रेस नोट जारी कर पुलिस की कार्यप्रणाली पर निम्न सवाल उठाएं हैं-

1 – बारां के शाहीन बाग़ से 18 मार्च को घर वापस लौट रही महिलाओं से गाली गलौच करने वाले असामाजिक तत्वो के खिलाफ तुरन्त पुलिस कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? 2- 18 मार्च को ही गोपाल कालोनी से गुज़र रहे लियाकत वेल्डर से मारपीट हुई जिसमें उसके गम्भीर चोटें आने और FIR दर्ज होने पर भी दोषियों की तुरन्त गिरफ्तारियां क्यों नहीं की गई ? 3 – 20 मार्च की रात को शाहीन बाग़ से लोट रहे मौलाना इम्तियाज कासमी को गिरफ्तार करने आई दो पुलिस जीपों के साथ तीसरी प्राईवेट शिफ्ट डिज़ायर कार किसकी थी और इसमें सादा वर्दी में आये लोग कौन थे जिन्होने मौलाना इम्तियाज को घसीट कर प्राइवेट कार में डाला और पुलिस की मिलीभगत से कोतवाली के बजाए किसी अन्य स्थान पर क्यों ले गये ? 4 – मौलाना इम्तियाज की गिरफ्तारी के समय पुलिस की तेज़ रफ्तार जीप से घायल 3,4 लोगों को तुरन्त अस्पताल क्यों नहीं पहुंचाया गया,क्या पुलिस की उन्हेँ जान से मारने की साज़िश थी ? 5 – मौलाना इम्तियाज की गिरफ्तारी की सूचना पर जानकारी हासिल करने कोतवाली गये मुस्लिम समुदाय के लोगों पर पुलिस ने बेवजह लाठीचार्ज क्यों किया? 6. थाने के आस पास के मुस्लिम मकानों पर पुलिस ने पथराव ओर तोडफ़ोड़ क्यों की ? 7 – मुस्लिम समाज के जिम्मेदार लोगों और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों को रात भर कोतवाली में बन्द क्यों रखा गया और 19 निर्दोष लोगों के खिलाफ मुकदमा क्यों दर्ज किया गया? 8 – मुस्लिम समाज के कोतवाली पर विरोध प्रदर्शन के समय यहां आकर असामाजिक तत्वो द्वारा पुलिस की मोजूदगी में आपत्ति जनक नारे लगाये और माहोल को बिगाड़ने की कौशिश की गई,उन्हे तुरन्त गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ? 9 – 21 मार्च को फेक्ट फाइन्डिगं के लिये जयपुर से आये राजस्थान मुस्लिम फोरम के डेलिगेशन को पीड़ितों से मिलने और उच्च अधिकारियों से वार्ता करने के लिये बारां शहर में प्रवेश से क्यों रोका गया?

इन सभी सवालों को उठाते हुऐ अंजुमन इत्तेहाद बाहमी के पदाधिकारियों ने पुलिस के पक्षपाती और दमनकारी रवैये के खिलाफ बारां कोतवाली C.I.को तत्काल निलम्बित करने व अन्य दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच एवं कार्यवाही की मांग की है। मांग नहीं मानने पर राजस्थान के सभी जिलों में मुख्यमन्त्री के नाम ज़िला कलक्टर को ज्ञापन दिया जायेगा जिससे इस प्रकार की दमनकारी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।

बारां प्रकरण के लिए पुलिस की कार्यशैली जिम्मेदार : मोहम्मद आसिफ

21 मार्च को पाॅपुलर फ्रंट ऑफ़ इण्डिया के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधी मण्डल ने बांरा का दौरा कर हालात का जायजा लिया।

मोहम्मद आसिफ ने बताया कि जब देश कोरोना जैसी महामारी से बचाव के लिए इतना संवेदनशील है उस वक्त पुलिस की यह कार्यशैली निन्दनीय है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार 1 माह पुराने मामूली मामले में एक युवक को पुलिस बगैर वर्दी व प्राइवेट कार से आकर जिस तरह गिरफ्तार करती है वो सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का उलंघन है।

पुलिस की इस हरकत पर लोगो को समझ नही आया की युवक का अपहरण हुआ है या पुलिस लेकर गई है इस से लोगों में रोष फैल गया और लोगों की भीड़ थाने पहुंच गई।

जब समाज व विभिन्न सामाजिक संगठन के जिम्मेदार थाने में पुलिस अधिकारियों से वार्ता कर रहे होते है तभी पुलिस थाने के बाहर जमा भीड़ पर लाठीचार्ज कर देती है जिससे स्थिति थोड़ी देर में ही भयावह हो जाती है। पुलिस लोगों को अपशब्द कहती है और वाहनों को तोड़ती है।

हमारा मानना है कि यदि पुलिस संयम रखती तो स्थिति यह नही होती। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया की पुलिस ने शनिवार को सुबह 21 मार्च को आस पास से पत्थर इकट्ठा किये और स्वंय अपने क्वाटर्स पर पत्थर फेंके है और सभी गिरफ़्तार लोगों पर गैरजमानती धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।

इस से साफ जाहिर होता है कि पुलिस पूर्वाग्रह से ग्रस्त थी और पुलिस की मंशा ठीक नही थी।

मोहम्मद आसिफ नें राज्य सरकार से मांग कि है कि वह इस पूरे प्रकरण की जांच कराए और दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर कार्यवाही करे।