जालना से औरंगाबाद जा रहे 16 मज़दूर मालगाड़ी से कट कर मर गए, एक घायल है। ये लोग पटरियों पर चलते हुए औरंगाबाद जा रहे थे। 36 किमी पैदल चलने के बाद उन्हें नींद आने लगी। थकान ज़्यादा हो गई। लिहाज़ा पटरी पर ही सो गए। इतनी गहरी नींद में चले गए कि होश भी न रहा और उनके ऊपर से ट्रेन गुजर गई। मज़दूर मध्यप्रदेश के शहडोल और उमरिया के हैं। (रवीश कुमार)
इन मज़दूरों की मौत का जिम्मेदार कौन है??
जब कोरोना की वजह से पूरे देश में अचानक से लॉक डाउन हुआ क्या किसी सरकार ने यह सोचा कि इस देश के उन करोड़ों मज़दूरों का क्या होगा जो रोज कमाते हैं और रोज़ खाते हैं?
उन लोगों का क्या होगा जो अपने घर परिवार से दूर किसी फैक्ट्री में नौकरी कर रहे हैं जब फैक्ट्री बंद हो जाएगी तब उनका घर कैसे चलेगा?
क्या सरकार ने इस बात की कभी चिंता की कि मज़दूर अपने घर कैसे जाएगा?
प्रवासी मज़दूरों को पटरियों के सहारे पैदल अपने घरों को जाने को मजबूर किसने किया?
इस देश में आत्महत्या करने के लिए उकसाने वाले को भी कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान है, क्या इन मजदूरों की मौत की जिम्मेदारी कोई सरकार अपने सर लेगी?
इनकी मौत का जिम्मेदार कोरोना नहीं सरकारी अव्यवस्थाएं हैं। सरकार को मज़दूरों के परिवार को कम से कम एक करोड़ का मुआवजा देना चाहिए।
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– Raheem Khan Kayamkhani