कुछ शर्म करो कांग्रेसियों…सपाइयो…मायावती के बहुजनों…अगर पत्रकार प्रशांत कनौजिया समेत तमाम पत्रकारों के लिए सड़कों पर आकर नहीं लड़ सकते तो कम से कम इस लड़की के लिए…यूपी की इस बेटी के लिंए तो लड़ो…
यह नेहा यादव है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्रा है। बेरोज़गारी समेत तमाम मुद्दों को लेकर नेहा ने अपने साथी स्टूडेंट्स के साथ पिछले साल जुलाई में इलाहाबाद में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को काले झंडे दिखाए थे। तब उन्हें गिरफ़्तार किया गया था।
अब अमित शाह गृह मंत्री बन गए हैं जबकि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने नेहा यादव को सस्पेंड कर दिया है। एक साल बाद बदला लेने के इस तरीक़े पर क्या सवाल नहीं उठाया जा सकता।
युवकों को रोज़गार दे नहीं सकते…अब पढ़ने से भी रोक रहे हैं।…अगर किसी का दिल ऐसे संघर्षशील युवक युवतियों पर नहीं पसीजता है तो मैं ऐसों पर लानत तो भेज ही सकता हूँ।
दिन मुश्किल भरे हो सकते हैं लेकिन संघर्ष की राह मुश्किल नहीं होती…
-युसूफ किरमानी