कोरोना संक्रमण के मामलों में हर बीतते दिन के साथ साथ इजाफा हो रहा है, हर राज्य से संक्रमितों की खबरें आ रही हैं, लेकिन इन सब के बीच राजस्थान का भीलवाड़ा जिला इन दिनों हर किसी की चर्चा में छाया हुआ है। दरअसल, भीलवाड़ा की चर्चा होने का कारण है जिले में कोरोना पर कंट्रोल।
जी हां, प्रदेश की गहलोत सरकार के भीलवाड़ा मॉडल पर अब अन्य राज्यों की सरकारें विचार कर रही है। वहीं इस मॉडल की तारीफों के बीच इसके कर्ता-धर्ता यहां के डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट (DM) राजेंद्र भट्ट की चौतरफा तारीफ हो रही है। ऐसे में आइए जानते हैं IAS राजेंद्र भट्ट के बारे में जिनके बदौलत आज जिले ने कोरोना पर लगाम लगाई है।
फिलहाल भीलवाड़ा में डीएम पद पर कार्यरत पीसीएस अधिकारी राजेंद्र भट्ट जिन्हें 2007 में आईएएस के लिए पदोन्नति मिली थी वह 2007 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।
56 साल के भट्ट का जन्म और शुरूआती शिक्षा जोधपुर में हुई है। अपने कार्यकाल में ग्रामीण इलाकों के लिए किए गए कामों को लेकर भट्ट पहले भी काफी सराहना पा चुके हैं। वहीं वर्तमान में कोरोना वायरस पर कंट्रोल के लिए श्रेय भट्ट को दिया जा रहा है।
कैसे कर दिखाया भट्ट ने यह कमाल
आपको बता दें कि आज जिस भीलवाड़ा मॉडल की हर तरफ वाहवाही है उसकी शुरूआत के लिए भट्ट ने जिले में कोराना संक्रमण का पहला मामला सामने आते ही कर दी थी। जिले में प्रशासन ने दो दिनों के भीतर एक्शन लेते हुए सख्त रूख अपनाया। लाखों की संख्या में घर-घर जाकर स्क्रीनिंग और टेस्टिंग करवाई गई।
मालूम हो कि राजस्थान में कोरोना का पहला एपिसेंटर भीलवाड़ा ही था जहां एक निजी अस्पताल के डॉक्टर के संक्रमित होने के बाद यह संक्रमण फैला था।
संक्रमण का पहला मामला सामने आते ही जिला प्रशासन ने भीलवाड़ा में सख्ती से कर्फ्यू का पालन किया और सभी निजी अस्पतालों को अपने कंट्रोल में लिया। वहीं जिले में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की टीमें बनाई और पुलिस के साथ घर-घर तक पहुंचे।
नतीजे हर किसी के आज सामने हैं जहां संक्रमित मरीज ठीक होने के बाद घर भेजे जा रहे हैं और जिले में कोई नया संक्रमित मामला सामने नहीं आया है।
– अवधेश पारीक