उसकी ख़ामोशी की वो धुन मेरे अल्फाज़ का वो शोर
ना चाहतों पे है काबू ना दिल पे है कोई ज़ोर
वो पंखुड़ी गुलाब सी मैं कांटों का गुलदान
मैं उसका टुटा हुआ सपना वो मेरा एक ही अरमान
मैं टुटा हुआ तारा तो वो चाँद जैसे पूनम का
मैं बहता हुआ पानी तो वो क़तरा कोई शबनम का
मैं नफ़रतों का सेहरा वो मोहब्बत का समंदर
वो इश्क़ का मरहम तो मैं तन्हाई का खंजर
वो प्यार का समंदर मैं नफरतों का सेहरा
वो आशिक़ी की बग़ावत मैं चाहतों का पहरा
वो खिलता हुआ गुल है तो मैं टुटा हुआ पत्ता
वो मशहूर सी मंज़िल मैं भुला हुआ रस्ता
न चाहतों पे है काबू नहीं दिल पे है कोई ज़ोर
उसकी ख़ामोशी की वो धुन मेरे अल्फ़ाज़ का वो शोर
— आयत