सी.बी. यादव की कलम से…………….. मेरी प्यारे किसान पुत्र दोस्तों, 24 फरवरी 2018 प्रातः 11:00 बजे, “हम भारत के लोग” प्रस्तावना का यह उद्घोष हमें लोकतंत्र रूपी व्यवस्था से आभूषित करता है लेकिन इस व्यवस्था में हम केवल एक दिन मतदान करके 5 वर्षों तक व्यवस्था के गुलाम बन जाते हैं इसका कारण व्यवस्था से अधिक,हमारी नागरिक के रूप में भूमिका और कर्तव्य से दूर होना प्रमुख है यही कारण है कि फिर सरकारें 5 वर्षों तक हमारा शोषण , उन निजी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का पोषण करने के लिए करती है जिनके चंदे से वह हमें मतदान के दिन के लिए खरीद लेती है अथवा हमारे विचार तंत्र को गुलाम बना देती है| हमारे युवा आज गरीब परिवारों की गाढ़ी कमाई से कोचिंगो एवं लाइब्रेरियों में दिन रात पढ़ाई करें कर रहे हैं लेकिन एक और सरकारें अधिकांश सेवाओं का निजीकरण कर रही है जिसके कारण रोजगार के अवसर दिन-प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं तो दूसरी ओर भर्ती परीक्षाओं को अनियमितताओं में अटका कर कई वर्षों तक इन किसान पुत्रों की जवानी को बर्बाद कर रहे हैं आखिर नौकरी नहीं मिलेगी तो यह युवा जो अपनी आंखों में सपना लिए दिन रात मेहनत कर रहा है क्या करेगा ? इसी का परिणाम है कि आज 1% जनसंख्या के पास 73 प्रतिशत संसाधनों पर कब्जा है दूसरी और 35 किसान प्रति मिनट ऋण से ग्रस्त होकर अपनी जीवन लीला को समाप्त करने पर मजबूर हो रहा है NSSO की रिपोर्ट के अनुसार एक किसान परिवार की औसत मासिक आय 3080 रुपए अर्थार्थ प्रति व्यक्ति मासिक आय ₹616 है |कर्मचारियों के लिए 7 वेतन आयोग बन चुके हैं और अगर उनकी रिपोर्ट को देरी से लागू किया जाए तो सरकारें एरियर देती है उन्हें लगभग 105 प्रकार के भत्ते दिए जाते हैं किसानों के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में पहला एकमात्र किसान आयोग( स्वामीनाथन आयोग) का गठन किया था जिसने फसल की कुल लागत मूल्य का 150% कीमत देने की सिफारिश की थी साथ ही प्रत्येक किसान परिवार को न्यूनतम ₹5000 की पेंशन की भी सिफारिश की थी इस रिपोर्ट को 15 अगस्त 2007 को लागू होना था लेकिन हमारी उदासीनता का परिणाम है कि 10 वर्षों बाद भी सरकारे हमसे दगाबाजी करती है राजस्थान सरकार ने प्रत्येक किसान को ₹ 50 हजार ऋण माफ एवं ₹2000 मासिक पेंशन का लिखित समझौता किया था और फिर उस से मुकर जाती है हमारे दूध को कौड़ियों के भाव खरीदा जाता है| एवं दूध पर दी जाने वाली सब्सिडी को बंद कर दिया जाता है कृषि कनेक्शन की फ्लैट रेट व्यवस्था को समाप्त करके मनमाने तरीके से मीटर लगाए जा रहे हैं जिनसे 5 से 10 गुना बिजली की कीमत वसूल कर निजी बिजली कंपनियों के हित में लूट मचाई जा रही है| एक ओर सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रतिवर्ष लगभग पांच लाख करोड रुपए की छूट देती है और बैंकों से हजारों करोड़ रुपए ऋण ले कर, नहीं चुकाने पर भी उनका कुछ नहीं किया जाता, तो दूसरी ओर हम किसान पुत्रों के दो-चार लाख रूपय के ऋण पर ही जमीनों की नीलामी की जा रही है हमें 4% की दर से केसीसी के कर्ज का झांसा दिया जाता है जबकि वास्तविक वसूली लगभग 14 से 16% तक की जाती हैं | दोस्तों आवश्यकता इस बात को समझने की है कि इन सब परिस्थितियों के पीछे क्या सरकारे जिम्मेदार है अथवा हम ? बहुत गहराई से सोचिएगा ! गहरे चिंतन से आपको अच्छे से पता चल जाएगा कि इसके लिए हमारी उदासीनता ,विरोध करने की इच्छा शक्ति का अभाव प्रमुख कारण निकल कर सामने आएगा| जब कर्मचारियों के साथ किसी प्रकार का अन्याय होता है तो सारे कर्मचारी एक साथ खड़े होकर विरोध प्रदर्शन करते हैं| जैसा कि विगत दिनों में डॉक्टरों के विरोध को देखा होगा( सरकारी, निजी, राजस्थान का एवं राजस्थान के बाहर के सब एक हो गए) , और अंत में सरकारों को उनके आगे झुकना पड़ता है लेकिन किसान पुत्र अलग-अलग जातियों, धर्मों या पार्टियों में बटा होने के कारण कभी भी अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पाता | यही कारण है कि किसान और किसान पुत्रों के साथ अन्याय होता रहा है| दोस्तों अगर इस अन्याय से लड़ना है और हमारी नियति को बदलना है तो हमें जाति, धर्म ,राजनीतिक दलो आदि को भूलकर एक वर्ग के रूप में किसान पुत्र बनना होगा | सभी को चाहे वह बेरोजगार हो या किसी रोजगार में सभी किसान पुत्रों को एक होकर सरकारों (चाहे किसी भी दल की हो) विरुद्ध अपनी आवाज को बुलंद करना होगा| तभी लोकतंत्र में हमारी सुनी जाएगी अन्यथा हम इस गुलामी भरी जिंदगी को ही अपनी नियति मानकर जीने पर मजबूर रहेंगे| अगर आप को लोकतंत्र के इस महायज्ञ मे योगदान देने के विचार से गहरी आत्म संतुष्टि की अनुभूति का अनुभव हो रही है तो आगे आइए ! एक बार जाति-धर्म पार्टियों को भूलकर किसान पुत्र बनकर अपने और अपने वर्ग के लिए लड़ाई लड़े | अन्ना जी के आंदोलन से जुड़िए और इसके समर्थन में मिस्ड कॉल भी कीजिए| जरूर हमारी जीत होगी जनसभा संयोजक किसान पुत्र सी. बी. यादव सहायक प्रोफेसर राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर