महात्मा गांधी नरेगा में 200 दिन का रोजगार दिए जाने को विभिन्न ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिलों में देश के प्रधानमंत्री नाम ज्ञापन दिया और 200 दिन के रोजगार की मांग की।

जनमानस विशेष

राजस्थान : मनरेगा में 200 दिन रोजगार और भत्ते की मांग पर PM के नाम 200 से ज्यादा ज्ञापन

By अवधेश पारीक

June 18, 2020

सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान, राजस्थान एवं राज्य भर तमाम सामाजिक, जन संगठन और संस्थाओं ने महात्मा गांधी नरेगा में 200 दिन का रोजगार दिए जाने को विभिन्न ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिलों में देश के प्रधानमंत्री नाम ज्ञापन दिया और 200 दिन के रोजगार की मांग की।

इस अवसर सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि इस महामारी और वैश्विक संकट के समय मनरेगा गरीब और मज़दूर के लिए जीवनदायी साबित हुआ है। इसकी वजह से लोग पेट में रोटी खा पा रहे हैं नहीं तो आज ग्रामीण भारत के हालात बहुत खराब होते और उन्हें भूख का सामना करना पड़ता। उन्होंने ये भी कहा कि मनरेगा में तुरंत 200 दिन किये जाने की सख्त आवश्यकता है।

200 दिन की मांग किये जाने हेतु मज़दूर किसान शक्ति संगठन एवं राजस्थान असंगठित मज़दूर यूनियन की ओर से जिला कलेक्टर राजसमन्द, उपखंड अधिकारी भीम सहित 4 जिलों की कई पंचायत समितियों सहित 40 ग्राम पंचायतों में, राजस्थान निर्माण एवं जनरल मज़दूर यूनियन, पीयूसीएल, रोज़ोरोटी अधिकार अभियान की ओर से ढोढसर एवं जयपुर,

 

सारद संस्थान व महिला पंच सरपंच संगठन रेवदर सिरोही की ओर से उपखंड अधिकारी रेवदर को, इब्तदा संस्था की ओर से उपखंड अधिकारी रामगढ़ अलवर को, महिला अधिकार मंच की ओर से अलवर जिले की ग्राम पंचायत इस्माइलपुर में ग्राम विकास अधिकारी को ज्ञापन दिया गया।

वहीं आदिवासी विकास मंच कोटड़ा द्वारा उपखण्ड अधिकारी कोटड़ा को, महिला जन अधिकार समिति द्वारा केकड़ी उपखड़ अधिकारी एवं गुलगांव ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी को, टोंक में एक्शनएड एसोसिएशन, घुमंतू विकास मंच, तरक़्क़ी आई फाउंडेशन, पयामे ए इंसानियत व भावी निर्माण सोसाइटी की ओर से जिला कलेक्टर टोंक को, बाडमेर जिले के सिणधरी उपखंड अधिकारी को उन्नति संस्थान, सहयोग संस्थान आदि ने,

एड मानजी ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी व सरपंच को सहयोग संस्थान की ओर से, नाकोड़ा ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी व सरपंच को सहयोग संस्थान की ओर से, बांसवाड़ा जिले की घाटोल पंचायत समिति में उजाला समूह संगठन की महिलाओं ने उपखंड अधिकारी को, लोक अधिकार नेटवर्क एवं महिला संगठन की ओर से जिला कलेक्टर बाड़मेर को, तथा ग्राम पंचायत बाड़मेर मगरा व ग्राम पंचायत बाड़मेर ग्रामीण के ग्राम विकास अधिकारी को महिला संगठन की महिलाओं ने,

दौसा जिले की काली पहाड़ी व ऊंची व सैंथल में सहेली समिति दौसा की ओर से सरपंच व उप सरपंच को बगरू पंचायत समिति की कालाखो में विशाखा संस्था की ओर से ग्राम विकास अधिकारी व सरपंच को, ग्राम पंचायत पीपला में सखी समिति की ओर से, ग्राम पंचायत पीपला बडाली देण्मड मस्ता बीरमपुरा में ग्राम विकास अधिकारी पीपला को समाज एवं पर्यावरण विकास संस्थान डेरिया की ओर से,

ग्राम पंचायत रतनगढ़ व गयानाकोड़ा ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी को, पंचायत समिति झाडोल सहायक विकास अधिकारी को, अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ शाखा बरवाडा गोगुन्दा के द्वारा उपखंड अधिकारी गोगुन्दा को,

धौलपुर जिले के सैपऊ उपखंड अधिकारी को, राजस्थान मज़दूर किसान मोर्चा के द्वारा अजमेर के किशनगढ़ उपखंड अधिकारी को, उदयपुर के झाड़ोल उपखंड अधिकारी को, बारां के किशनगंज की ग्राम पंचायत कस्बा नोनेरा जाग्रत महिला संगठन की ओर से, समता संगठन राजस्थान की ओर से चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा, कपासन, भदेसर उपखंड अधिकारियों को व उदयपुर के झाडोल में जन चेतना संस्था व मेवाड़ आदिवासी समिति की ओर से उपखंड अधिकारी को,

जोधपुर जिले की तिंवरी पंचायत समिति की मथानिया ग्राम पंचायत में ग्राम।विकास अधिकारी को, सिणधरी पंचायत समिति के एडमान ग्राम पंचायत, चांमू ब्लॉक की चामू ग्राम पंचायत मेंनग्राम विकास अधिकारी को,  बाप उपखंड अधिकारी को समता सैनिक दाल द्वारा,

सेखाला ब्लॉक में रतनगढ़ ग्राम पंचायत में व ग्राम पंचायत भणियाणा पंचायत समिति पोकरण जिला जैसलमेर में, अजमेर जिले की जवाजा पंचायत समिति की टॉडगढ़ ग्राम पंचायत में स्थायी विकास संस्थान की ओर से तथा कोरो संस्था राजस्थान की ओर से 20 से अधिक स्थानों पर ज्ञापन दिए।

कोविड 19 से हमारा देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया लड़ रही है। इस महामारी की वजह से जो लोग प्रवास पर रहकर काम कर रहे थे उनमें से अधिकतर अपने घर लौट गए हैं। राजस्थान में ऐसे लौटने वाले लोगों की संख्या 15 लाख से भी अधिक है। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के पास अभी महात्मा गांधी नरेगा के अलावा काम का कोई विकल्प नहीं है।

गौरतलब हो कि राजस्थान में अभी 50 लाख से अधिक मज़दूर प्रतिदिन काम कर रहे हैं। इनमें से कइयों के 100 दिन इस माह के अंत या अगले माह तक पूरा कर लेंगे उसके बाद उनके पास कोई काम नहीं रहेगा और इस वित्तीय वर्ष के 8 महीने बाकी रहेंगे।