‘शिक्षक दिवस’ की ज्ञान-सागरो को लबालब व दिलेर मुबारक़बाद ?
अपने होने का प्रमाण शायद वे दीपक ख़ुद से दे नही पाते जिन्होंने अपनी शैक्षिक परम्परा से अपना नाम कमाकर इस जहाँ को रोशन किया हैं साथ ही इस ‘शिक्षक’ नाम के पद को बेहिसाब ऊंचाइयां दी हो,अपने ज्ञान-सागर तट पर आने वाले हर-एक को ज्ञान की बूंदों से अनन्त काल तक लाभान्वित करते रहे है …!!
वर्ष में एक दिन उनको सम्मान,इज्ज़त देने के लिए स्वर्णिम कलेंडर पर अंकित है इसलिए कि उनका ज्ञान व आभा इस जहां में आबाद रहे क्योंकि इनका होना हर एक महानतम जीवन के लिए आवश्यक है।
शैक्षिक दर्शन से परे भारतीय शैक्षणिक शैली में शिक्षक पदों व ग्रेड के मोहताज रहे है। प्रधानचार्य, व्याख्याता, प्रथम, द्वितीय,तृतीय,यह तमाम पद भौतिक व सामाजिक जीवन को बेकरार बनाते रहे है यहाँ मैं इनको नकार नही रहा हूँ लेकिन इन सबके मध्य ऐसे कई उदाहरण हमारे देश मे देखे गए है जिन्होंने ग्रेड व प्रमोशन से अलग रहकर शैक्षिक नवाचारों, ज्ञान के प्रकारों व अन्य शैक्षणिक उपलब्धियों से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से देश को तथा यहाँ के विद्यार्थी जीवन को महक दी है ।
अलवर के #इमरानखान जी का नाम राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में सुंदर अक्षरों में लिखा जाता है जब से मेने इनकी उपलब्धियों को पढा है तब से वे अनेक सम्मान जी रहे है। उनको ढेर सारी मुबारकबाद व खुशामदीद/शुभकामनाएं बस जरूरत है अन्य शिक्षक उनसे प्रेरणा ले …!!
“जिन के किरदार से आती हो सदाक़त की महक उन की तदरीस से पत्थर भी पिघल सकते हैं।”
पुनश्च : गुरुजनों वाली जिंदगी व किरदार को अनन्त मुबारकबाद व सलाम व अशेष शुभकामनाएं,अल्लाह उन्हें आबाद रखे …!!
© Shoukat Ali Khan