–अहमद कासिम
क्या 27 वर्ष पहले वाक़ई इस देश का प्रधानमंत्री एक ऐसी मौत मार दिया गया था जिसकी कहानी बयां करना आसान नही है ?
पक्ष विपक्ष की लड़ाई ने मर्यादाओं की चाकुओं से गोदकर हत्या कर डाली है “अभी ही कि बात है कि पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी सोनिया गांधी को देश के बड़के राजनेताओं द्वारा विदेशी बताकर राष्ट्रवादी होने के नाम पर ठप्पा लगाने की कोशिश की जाती है।
मुझे कांग्रेस पार्टी से कोई साहनुभूति नही लेकिन राजनीति के बिगड़ते चाल चलन से इक दिक्कत महसूस होती है कि जहां भावनाओं की कोई कद्र नही।
प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने देश की उन्नति और विकास के लिए कई सराहनीय कदम बढ़ाए,राजीव की सोच का दायरा बहुत बढ़कर था,सत्ता की लालसा या जोड़तोड़ की राजनीति उनके आसपास भी ना थी।
राजीव एयर इंडिया के पायलट थे और अपनी हवाई यात्राओं के दौरान कई बार खुद विमान चलाते भी थे।
गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी जब बिना किसी भय के भीड़ के बीच पहुंच रहे थे तो प्रश्न उठाया गया कि ये उनके लिए खतरा है लेकिन उनके पिता राजीव गांधी के व्यक्तित्व का ये बात हिस्सा थी वो गांवों में बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों के साथ कई कई घण्टे अपना वक्त बिताते थे उनकी मुस्कुराहट जनता के लिए उम्मीदें जगाती थीं।
एक ऐसे वक्त में जब कोई भी देश को आगे ले जाने के बारे में सोच नहीं रहा था, वह देश को 21वीं सदी में ले जाने की सोच विकसित कर चुके थे।
राजीव गांधी आईटी फील्ड में भारत की भूमिका अहम मानते थे. उन्होंने कंप्यूटर के इस्तेमाल को आम करने की शुरुआत की. साइंस और टेक्नॉलोजी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी बजट बढ़ाए.
देश में शिक्षा का स्तर को सुधारने के उद्देश्य से 1986 में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एलान किया.1986 में राजीव ने महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) की स्थापना की. पब्लिक कॉल ऑफिस के जरिए ग्रामीण इलाकों में संचार सेवा का तेजी से विस्तार हुआ।
राजीव युवाओं में एक जागृति उतपन्न करने का ख्वाब रखते थे,कई बार उन्हें इस विषय पर चिंता प्रकट करते हुए पाया गया कि देश की राजनीति में युवाओं की भागीदारी किस तरह बढ़ाई जाए लेकिन अफसोस कि राजीव का ये ख़्वाब पूरा ना हो सका “आज इस देश मे युवाओं की राजनीति में भागीदारी का ग्राफ तो बड़ा है लेकिन एक भटकाए हुए मार्ग पर जहां खुद राजीव को गालियों ओर अपशब्द व्यक्त करती युवा मानसिकता का सामना करना पड़ता होगा,जहां खुद उनके बेटे,बीवी ओर परिवार को ट्रोल किया जाता वो देखते होंगे।
राजीव राजनीति की भेंट चढ़ गए। उनके शरीर को कई हिस्सों में तब्दील करते हुए कुछ कहती हुई उस आवाज़ को शांत कर दिया गया। लेकिन मेरे इस लेख की शुरुआत का प्रश्न अब भी अंदर तक विचलित किए हुए है कि क्या वाकई 27 वर्ष पहले इस देश ने एक नोजवान प्रधानमंत्री को खोया था ?
पक्ष विपक्ष, भाजपा कांग्रेस,लेफ्ट राइट ओर इसका उसका की राजनीति को थोड़ी देर विराम दीजिए और 2 मिनट राजीव गांधी के उन आखरी लम्हों को याद कीजिए कि जब फूलों के गुलदस्ते का अभिनंदन ज़हन में आया होगा उससे पहले ही शरीर के चीथड़े उड़ गए। राजीव चले गए इस देश की खुशहाली के कई ख्वाब अपने दिल मे संजोए हुए।