By:Om Thanvi
राजस्थान में नागरिक अधिकारों का जनाज़ा निकल रहा है। ये तसवीरें RTI के जुझारू कार्यकर्ता नंदलाल व्यास की गिरफ़्तारी की हैं। किसी शातिर अपराधी की तरह जोधपुर की पुलिस ने उनके घर में दबिश दी। घर की महिलाओं से पुरुष पुलिसकर्मी हाथापाई में उलझे।
हक़ीक़त यह है कि प्रतिष्ठित RTI कार्यकर्ता ने कृषि विभाग के अनाचार का मामला उठाया तो – जैसा कि होता है – विभाग के ही एक कर्मचारी ने उलटे मामला दर्ज करवा दिया। सरकार ने इसकी जाँच सीआइडी की अपराध शाखा को सौंप दी। आठ महीने बाद जोधपुर की ‘मुस्तैद’ पुलिस ने कार्यकर्ता को “सबक़” सिखा दिया। यह कहकर कि मामला सीआइडी को जाने का आदेश उन तक नहीं पहुँचा है। जंगल राज और किसे कहते हैं।
अपराधियों से निपटने का भी एक सलीक़ा होता है। राजस्थान में RTI कार्यकर्ताओं की स्थिति लगता है शातिर अपराधियों से भी ख़राब है। संदेश साफ़ है – जो बोलेगा, मारा जाएगा।
(वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की फ़ेसबुक वाल से साभार)